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आगरा

यूपी का ये जांबाज 1971 के युद्ध से है लापता, अभिनंदन की वापसी के बाद परिजनों की जागी आस

अभिनंदन की वापसी से वर्षों के इंतजार के बाद जमी नाउम्मीद की धूल झाड़ते हुए इन परिवारों को एक बार फिर उम्मीद की किरण दिखने लगी है।

आगराMar 02, 2019 / 02:04 pm

अमित शर्मा

UP Missing

यूपी का ये जांबाज 1971 के युद्ध से है लापता, अभिनंदन की वापसी के बाद परिजनों की जागी आस

आगरा। विंग कमांडर अभिनंदन की पाकिस्तान से वतन वापसी के बाद देश भर में उत्साह है। लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं लेकिन इस जश्न के बीच कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो देश की खातिर दुश्मन से लोहा लेते हुए पाकिस्तान की सलाखों तक पहुंच गए। आज भी इन परिवारों का आपनों का इंतजार है। अभिनंदन की वापसी से वर्षों के इंतजार के बाद जमी नाउम्मीद की धूल झाड़ते हुए इन परिवारों को एक बार फिर उम्मीद की किरण दिखने लगी है। ऐसी ही एक परिवार है आगरा में।
वर्ष 1971 के युद्ध के बाद से लापता

आगरा के फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित वर्ष 1971 के युद्ध के बाद से लापता हैं। मनोहर के साथ 54 सिपाही लापता हुए थे। ऐसे प्रमाण मिले कि मनोहर को पाकिस्तान में बंधक बना लिया गया था। मनोहर पुरिहित का परिवार 48 वर्षों से उनकी वापसी की राह देख रहा है। आज तक उनके परिवार ने वापस आने की उम्मीद नहीं खोई है।
सिस्टम की बेरुखी से निराशा

अब अभिनंदन की वापसी के बाद उनके परिवार को एक बार फिर आस जागी है। फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित की पत्नी सुमन पुरोहित का कहना है कि जैसे मोदी सरकार विंग कमांडर अभिनंदन को वापस लेकर आई है, वैसे ही मेरे पति को भी वापस लाए। सुमन सरकारी सिस्टम की बेरुखी से निराश हैं। उनका कहना है कि पहले कमसे कम हमारे पत्रों का जवाब मिल जाता था लेकिन अब तो जवाब भी नहीं आता। हम पत्र लिखते रहते हैं लेकिन कोई जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझता।
पाकिस्तान गईं सुमन

सुमन तिवारी अपने पति फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित की खोज में पाकिस्तान तक हो आईं। सन् 2007 में सुमन पुरोहित पाकिस्तान गई थीं लेकिन उन्हें वहां भी निराशा ही हाथ लगी। जेल के दस्तावेज उर्दू में होने के चलते वह वहां के कैदियों की डिटेल भी नहीं पढ़ पाईं। सुमन पूरे सात दिन पाकिस्तान में रहीं लेकिन इसके बाद भी उन्हें मायूस होकर भारत लौटना पड़ा। फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित के इंतजार में सुमन की आंखें पथरा गईं, अब अभिनंदन की रिहाई के बाद एक बार फिर उम्मीद जागी है।
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