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नरेन्द्र मोदी- शी जिनपिंग की वार्ता के बाद चीन के रुख में क्या बदलाव आएगा, क्या होना चाहिए, पढ़िए विद्वानों के विचार

locationआगराPublished: Oct 15, 2019 07:33:07 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

-चीन को रोकने के लिए भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया को रणनीति बनानी होगी
-चीन में मध्य एशिया के पर्यटकों के मोबाइल में जबरिया एक ऐप इंस्टॉल कराया जाता है
-निजता का उल्लंन किया जा रहा, निगरानी की जा रही

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आगरा। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के जयपुर हाउस स्थित केंद्रीय कार्यालय पर “बदलता भारत, बदलती विदेश नीति- जिनपिंग की भारत यात्रा” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में अनेक वक्ताओं ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे पर अपने विचार प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने कहा कि चीन को रोकने के लिए चार देशों एक होना होगा। यह भी जानकारी दी गई है कि मध्य एशिया से आने वाले पर्यटकों के मोबाइल में जबरन एक एप्लीकेशन (ऐप) डाउनलोड कराया जाता है, ताकि निजी जानकारी रिकॉर्ड की जा सकें।
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पूरे झिनझियांग को बंदीगृह बनाया

चर्चा में सबसे पहले बोलते हुए कर्नल जीएम खान साहब ने कहा कि चीन ने पूरे झिनझियांग को बंदी गृह बना रखा है। यहां रहने वाले उइघरों पर अत्याचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। हजारों उइघरों को प्रशिक्षण देने के नाम पर हिरासत में रखा गया है। उनकी जबरदस्त निगरानी की जा रही है। सर्विलेंस कैमरा के साथ ही हाईटेक तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन सरकार उइगरों से लड़ने के नाम पर मानवाधिकारों और निजता के अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है। मध्य एशिया से आने वाले पर्यटकों के फोन में जबरदस्ती एक ऐप इंस्टॉल करके उनकी जानकारियों का रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। सीमा सुरक्षा अधिकारी सीमा पर ही फोन जब्त कर लेते हैं। ऐप को स्कैन करने के बाद ही लौटाते हैं।
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भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान रणनीति बनाएं

राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच आगरा के कोषाध्यक्ष अतुल सरीन ने कहा कि हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर में चीन के दखल ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। भारत सुरक्षित समुद्रों से जुड़ा एक मुक्त समावेशी और संतुलित क्षेत्र चाहता है, जो व्यापार व निवेश से संबंधित हो। हिन्द महासागर में कानून का शासन हो। समुद्री मार्गों को चीन के प्रभाव से मुक्त कराना जरूरी है। इसके लिए भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान चारों देशों को संयुक्त रणनीति बनानी होगी। इन चारों देशों का एक गठबंधन ही चीन को रोक सकता है। भारत दौरे के दौरान सीमा के विवाद को निपटने के लिए जिंगपिंग ने आश्वासन दिया की एक ऐसा हल निकालेंगे जो दोनों राष्ट्रों को मान्य होगा। एक “रीजनल कंप्रेनहंसिव इकॉनोमिक पार्टनरशिप समिति” बनाई है, जो व्यापार में आ रहे गतिरोधों को दूर करेगी। इसमें भारत की और से निर्मला सीतारमन व चाइना की और से उनके उपप्रधान मंत्री अध्यक्ष होंगे। इंडिया का व्यापार घाटा 52 बिलियन डॉलर का है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चिंता व्यक्त की है।
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लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का गला घोटना बंद करे
उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव उपाध्याय ने कहा कि चीन हांगकांग में दमनकारी नीति को छोड़े और लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का गला घोटना बंद करे। ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन को इसलिए नहीं सौंपा था कि चीन हांगकांग वासियों पर अत्याचार करे।
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पर्यटन विस्तार में बहुत गुंजाइश

उपाध्यक्ष रविंद्र पाल सिंह जी टिम्मा ने कहा कि दोनों देशों को आपसी सहयोग के लिए आगे बढ़ना चाहिए। व्यापार शिक्षा अनुसंधान एक दूसरे के देशों के लोगों का आपसी संपर्क बढ़ाना जरूरी है। पर्यटन विस्तार में बहुत गुंजाइश है सांस्कृतिक संबंधों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
जिनपिंग- मोदी मुलाकात के लिए महाबलीपुरम को क्यों चुना
राष्ट्रीय मंत्री डॉ. रजनीश त्यागी ने कहा कि महाबलीपुरम की स्थापना पल्लव राजा नरसिंह देव बर्मन ने की थी। नरसिंह देव बर्मन को मामल्ल भी कहा जाता था, इसलिए इस शहर का नाम मामल्लपुरम कहा जाता है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के निकट बसा हुआ मामल्लपुरम चीन से व्यापार का बड़ा केंद्र रहा है। 63 साल पहले 1956 में चाई न लाई भी आये थे। यह शहर सातवीं शताब्दी में पल्लवों के शासन के दौरान महत्वपूर्ण बंदरगाह था। बोधिधर्मा जिन्होंने चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था, वह भी इसी शहर से यात्रा शुरू करके चीन के गुआंगडोंग प्रांत पहुंचे थे। मामल्लपुरम और चीन के प्रांत फोजियान के बीच हजारों साल पुराने व्यापारिक संबंध रहे हैं। सातवीं शताब्दी में कांचीपुरम प्रवास के दौरान ह्वेनसांग ने यहां का दौरा किया था। चीन में सोमवंश के सिक्कों और बर्तनों में यहां के सबूत मिले हैं। मामल्लपुरम में भी चीन के और फारस के सिक्के खुदाई में मिले थे। इसीलिए इस शहर को जिनपिंग- मोदी मुलाकात के लिए चुना गया था।
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भूगोल बदलने की कोशिश कर रहा चीन
ब्रिगेडियर मनोज कुमार ने कहा जिस तरीके से भारत चीन के अंदरूनी मामलों से खुद को दूर रखता है, वैसे ही चीन भी भारत के मामलों में दखलंदाजी से बचे और सहयोग को बढ़ावा दे। दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के लिए बहुत व्यापक क्षेत्र खुले हुए हैं। चीन, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे। चीन पीओके में गैरकानूनी ढंग से बनने वाले चीन-पाक आर्थिक गलियारे द्वारा भूगोल बदलने की कोशिश कर रहा है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीर मुद्दा उठाया था। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाक की भाषा बोली थी। वांग ने कहा था कि कश्मीर एक विवादित मुद्दा है इसका समाधान शांतिपूर्वक संयुक्त राष्ट्र चार्टर के नियमों, सुरक्षा परिषद के संकल्पों और द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक होना चाहिए, लेकिन आज इस बात का संतोष है कि जिनपिंग ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कश्मीर के मुद्दे को नहीं छुआ। यह भारत की कूटनीतिक विजय है।
भारत में निवेश की उम्मीद
विचार गोष्ठी का संचालन करते हुए पवन सिंह ने कहा कि चीन के साथ भारत का बढ़ता व्यापार घाटा, भारत की सबसे बड़ी चिंता है। चीन ने बार-बार वादे के बावजूद घाटे को कम करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए। मेक इन इंडिया योजनाओं में चीन को निवेश करना चाहिए। जिनपिंग की भारत यात्रा से निवेश में भारत को कुछ उम्मीद जागी है। चीन अगर भारत में निवेश करेगा तो चीन भारत की दोस्ती और गहरी होती जाएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय शांति के लिए दोनों देश एक दूसरे के समीप आए है। दोनों एशियाई देशों के बीच वृहद सहयोग से ही क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। दोनों बड़े देश विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। चीन और भारत दोनों को दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा भरने की जिम्मेदारी निभानी होगी।
चीन में निर्यात बढ़ाया जाए
मुकेश शर्मा ने कहा कि डब्ल्यूटीओ के नियमों में बंधी भारत सरकार चीनी सरकार के सामान को प्रतिबंधित तो नहीं कर सकती, लेकिन भारत में जन भावनाओं को उभार कर चीनी सामान की खरीदारी को कम किया जा सकता है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल प्रमोशन एंड पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत भी अब चीन को मोबाइल एक्सपोर्ट करने लगा है। मेक इन इंडिया स्कीम के तहत इन उत्पादों को बढ़ाकर उनका निर्यात बढ़ाया जा सकता है।
चीन निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार करें
मानवेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि आरसीईपी में भारत सकारात्मक सोच रखे और जो पिछली बार दीवाली पर चीन को घाटा हुआ था, वह घाटा इस बार न हो, इसलिए जिन पिंग में भारत की यात्रा की है। अनुपम पांडे जी ने कहा कि इस यात्रा से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बढ़ेगी। अरशान खान ने कहा कि एक तरफ हमको चीनी सामान खरीदना बन्द करना पड़ेगा तो दूसरी और स्वदेशी उत्पादन बढ़ाना होगा। श्रीमती वत्सला प्रभाकर ने कहा कि चीन पाकिस्तान का साथ देता है इसलिए हमें चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए।
ये रहे उपस्थित
गोष्ठी में गौरीशंकर सिंह, प्रदीप जैन, श्रीमती शीला बहाल, डॉ. गजेंद्र तोमर, रतीश शर्मा, अनामिका मिश्रा, विवेक खंडेलवाल, हरिशंकर त्यागी, अजय चाहर, मनोज राघव, अमित त्यागी, हरीश चौधरी, अविरल मिश्रा, रवि करोतिया, अमित मंगल, तर्ष वशिष्ठ आदि उपस्थित रहे।
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