बटेश्वर कांड- बाह तहसील में 27 अगस्त 1942 को लीलाधर उर्फ ककुआ ने जनता के समझ उत्तेजक भाषण देते हुए जंगल कानून तोड़ने का आवाहन किया। भाषण के पश्चात लगभग 500 लोगों की उत्तेजित भीड़ ने वन विभाग कार्यालय की दीवारें तोड़ दीं। इतना ही नहीं कर्मचारियों के आवासर पर ताले जड़ दिए। फिर इसी भीड़ ने बिचकोली स्थित जंगलात के दूसरे कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया। इसकबाद गिरफ्तारियां शुरू हुईं, जिसमें लीलाधर, अटल बिहारी वाजपेयी उनके भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी व शोभाराम आदि पकड़े गए। गांव पर 10 हजार रुपये का सामूहिक जुर्माना भी गिया गया। बटेश्वर षड़यंत्र कांड के नाम से ये वारदात पुलिस रिपोर्ट केस नंबर 44, धारा 426/435/147 भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज हुई थी। रिपोर्ट में अटल बिहारी वाजपेयी व प्रेम बिहारी वाजपेयी का नाम अभियुक्त संख्या 29 व 30 पर दर्ज था। इस मुकदमे की ट्रायल संख्या 1943/3 सरकार बनाम लीलाधर आदि के नाम से हुआ। अदालत ने लीलाराम व शोभाराम को तीन व सात वर्ष की सजा सुनाई। मुकदमे में निर्णय 30 मई 1943 को हुआ। इस मुकदमें में अभियुक्तों की पैरवी पंडित राजनाथ शर्मा ने की थी, जिन्हें बाद में अपराधियों की आर्थिक मदद करने के आरोप में बंदी बना लिया गया था।