बटेश्वर गौरवान्वित पत्रिका ने दूसरे दिन बटेश्वर जाकर लोगों से बातचीत की। राम सिंह आजाद ने बताया कि अटल बिहार वाजपेयी ने बटेश्वर की मिट्टी को बहुत बड़ी पहचान दी है। पूरा बटेश्वर गौरवान्वित है। वे त्यागी और संस्कारित थे। आने वाली सरकारें उनके बताए हुए रास्ते पर चलें, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
यह चाहते हैं बटेश्वर के लोग उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी गांव के रिश्ते में ताऊ हैं। जन्म ग्वालियर में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा यहीं पर हुई । 12 से 14 साल तक यहां पर रहे हैं। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिका रही। उस दिन बटेश्वर में जुलूस निकालकर अगुआई की थी। जंगलात की कोठी पर तिरंगा फहराया था। इसका खामियाजा पूरे गांव को भुगतना पड़ा था। अंग्रेजों ने पूरे गांव पर जुर्माना लगाया था।
पूरे देश को परिवार मानते थे अटल बिहारी वाजपेयी के भतीजे सुनील वाजपेयी ने वह कुआं दिखाया, जहां से अटल बिहारी वाजपेयी पानी भरा करते थे। यमुना में नहाते थे। उन्होंने अपने परिवार को ओर कभी ध्यान नहीं दिया, इसका कारण यह था कि वे पूरे देश को अपना परिवार समझते थे। वे हमेशा कहते थे कि आप ही नहीं, बल्कि पूरा देश परिवार है। सबसे मधुर व्यवहार था। उन्होंने कहा कि अब बचा ही क्या है। सबकुछ खो गया है।