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यहां तालों में धूल खा रहे है अनगिनत दुर्लभ ग्रंथ

locationअगार मालवाPublished: Feb 20, 2019 11:12:53 am

Submitted by:

Lalit Saxena

देश के वरिष्ठ साहित्कारों द्वारा रचित अनगिनत दुर्लभ ग्रंथ मौजूद तो हैं, लेकिन प्रशासन की लेतलाली की वजह से 35 वर्ष बाद भी इन ग्रथों का लाभ आमजन से कोसों दूर नजर आ रहा है।

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आगर-मालवा. नगर में देश के वरिष्ठ साहित्कारों द्वारा रचित अनगिनत दुर्लभ ग्रंथ मौजूद तो हैं, लेकिन प्रशासन की लेतलाली की वजह से करीब ३५ वर्ष बाद भी इन ग्रथों का लाभ आमजन से कोसों दूर नजर आ रहा है। तालों में बंद यह अनमोल ग्रंथ देखरेख के आभाव में धूल ही खा रहे हैं। शहर के मध्य समिति द्वारा संचालित बाल समाज वाचनालय और लायंस क्लब द्वारा संचालित सार्वजनिक वाचनालय मौजूद हैं जहां देश के सुप्रसिद्ध अनेक साहित्यकारों द्वारा रचित हजारों अनमोल ग्रथ रखे हैं। वर्षों से ना तो वाचनालय को खोला गया है और ना ही इन ग्रथों को आमजन के लिए पढ़कर ज्ञान बढ़ाने की ही कोई व्यवस्था प्रशासन ने की गई। इसके चलते ना तो साहित्य प्रेमी और ना ही युवाओं को इन ग्रंथों को पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ाने का अवसर मिल पा रहा है। कई मर्तबा साहित्यप्रेमियों द्वारा आवेदन देने के बाद भी इस आेर प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जानकारी के अनुसार नगर में वर्षों पूर्व दो वाचनालय हुआ करते थे, जहां ज्ञान वर्धक पुस्तकों के साथ देश के वरिष्ठ साहित्कारों द्वारा रचित अनमोल ग्रंथ हजारों की संख्या में मौजूद हुआ करते थे। बड़ौद दरवाजे पर स्थित सार्वजनिक वाचनालय को लायंस क्लब द्वारा संचालित किया जाता था और छावनी स्थित बाल समाज वाचनालय को ११ सदस्यों की समिति संचालित करती थी। ३३ वर्ष पूर्व तक इन दोनों वाचनालयों में नगर सहित आसपास के साहित्य प्रेमी लोग बड़ी संख्या में आकर अपने ज्ञान में वृद्धि करते थे। नपा के अधीनस्थ चलने वाले इन वाचनालयों में व्यवस्थित रूप से रजिस्टर में आवक जावक होकर पुस्तकों का हिसाब किताब भी रखा जाता था और निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद साहित्य प्रेमी पुस्तकों को अपने घर ले जाकर भी ज्ञान अर्जित करते थे। लगभग ३५ वर्ष से लायंस क्लब के द्वारा किसी भी प्रकार की गतिविधियां यहां संचालित नहीं की जा रही हैं और धीरे-धीरे इस क्लब के सदस्यों की संख्या भी ओझल होती जा रही है। इसके कारण इस वाचनालय का संचालन करने वाला कोई नहीं बचा है। तभी से इस पर ताला लगा दिया गया और यहां रखा ग्रंथ अब मात्र धूल खाकर नष्ट होने की कगार पर है।
वाचनालय भवन बनाया लेकिन नहीं रखा साहित्य
छावनी स्थित बाल समाज वाचनालय भवन जीर्ण-शीर्ण होने से नपा प्रशासन द्वारा यहां रखा अनमोल ग्रंथ अपने कब्जे में लेकर भवन के स्थान पर नवीन भवन का निर्माण भी कर दिया लेकिन पुस्तकें अब तक नहीं रखी है। यहीं कारण है कि यह भवन पिछले २-३ वर्ष से वाचनालय के नाम से संचालित तो हो रहा है, लेकिन यहां साहित्य नहीं होने से यह भवन खाली ही पड़ा है। नपा प्रशासन को चाहिए की वाचनालय भवन शुरू कर लोगों को इसका लाभ दिया जाए। वाचनालय का पूरा संचालन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. गणेशदत्त शर्मा इंद्र यहां रहकर करते थे। इस कारण यहां देश के अनेक ख्यातिनाम साहित्यकार आकर ठहरते भी थे और अनेक दुर्लभ ग्रंथ भी यहां मौजूद हैं। वर्ष १९९० में उनके स्वर्गवास के बाद से यह वाचनालय भी अतीत बनता जा रहा है।
साहित्य नए भवन पर हो उपलब्ध
पहले इन वाचनालयों में साहित्य गतिविधी जारी रहती थी। बकायदा यहां युवा सहित साहित्य प्रेमी अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन ग्रंथों का लाभ लिया करते थे लेकिन वर्षों से यह साहित्य तालों में बंद हैं। इसे पुन: प्रारम्भ किए जाने की पहल प्रशासन को करना चाहिए। साथ ही लायंस क्लब द्वारा संचालित सार्वजनिक वाचनालय और बाल समाज वाचनालय का साहित्य एक स्थान पर नवीन बाल समाज वाचनालय में रखा जाकर साहित्य प्रेमियों को इसका लाभ देना चाहिए।
शहर में वाचनालय होना चाहिए। इसमें पुराने साहित्य भी मौजूद रहे हैं। युवा पीड़ी को इससे मार्गदर्शन मिलता है। छावनी स्थित वाचनालय में किताबें क्यों नहीं हैं, पुराना साहित्य कहां रखा है इसकी जानकारी ली जाएगी। शीघ्र ही युवाओं तथा साहित्यकारों के लिए वाचनालय आरंभ किया जाएगा। वहां सुविधानुसार व्यवस्थाएं मुहैया कराई जाएगी।
शकुंतला जायसवाल, नपाध्यक्ष आगर

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