अगार मालवाPublished: Nov 12, 2018 01:05:01 am
Lalit Saxena
हर पांच साल में चुनाव होते हैं। चुनाव के दौरान नेता अपने वादे करके जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद माननीय पलटकर नहीं देखते हैं।
हर पांच साल में चुनाव होते हैं। चुनाव के दौरान नेता अपने वादे करके जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद माननीय पलटकर नहीं देखते हैं।
दुर्गेश शर्मा. आगर-मालवा. हर पांच साल में चुनाव होते हैं। चुनाव के दौरान नेता अपने वादे करके जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद माननीय पलटकर नहीं देखते हैं। कुछ इसी प्रकार की स्थिति आगर विकासखंड के ग्राम लखमनखेड़ी की है। वर्षों से सड़क समस्या से परेशान ग्रामीण हर बार चुनाव में नेताओं के समक्ष इस ज्वलंत समस्या को रखते हैं लेकिन चुनाव होने के बाद ग्रामीणों की यह समस्या बरकरार रहती है। पिछले कई वर्षों से ग्रामीण इस समस्या से परेशान है, लेकिन उन्हे निजात नहीं मिल रही है। अपनी सियासी वेतरणी पार करने के लिए नेता ग्रामीणों को दिलासा देते हैं तो एक उम्मीद बनती है लेकिन ग्रामीणों की यह उम्मीद धरी की धरी ही रह जाती है। यहां के ग्रामीणो में माननीयों के प्रति जमकर आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि जो २०१३ में हमारे यहां से जीतकर गए थे वो वापस आएंगे तो उन्हे जमकर खरी-खोटी सुनाई जाएगी। इस गांव की आबादी करीब ८०० है । यहां ५७७ मतदाता दर्ज है।
जिला मुख्यालय से १५ किमी की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत जैतपुरा के ग्राम लखमणखेड़ी के ग्रामीण सड़क की सुविधा नहीं मिलने से विकास की ओर बढ़ ही नहीं पा रहे हैं। मुख्य मार्ग से गांव करीब ३ किमी की दूरी पर स्थित है। यहां तक जाने मे हर किसी को पसीना आ जाता है। पूरे रास्ते मे बड़े-बड़े पत्थरों से राहगीरों का स्वागत होता है। इस मार्ग पर केवल पैदल ही आसानी से चला जा सकता है। दोपहिया वाहन चालक पूरे रास्ते मे कई बार रुकते है तब जाकर गांव तक पहुंचा जा सकता है। वही चारपहिया वाहन भी कछुआ चाल से चलते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क नहीं बनने के कारण वे पिछड़ते जा रहे हैं। गांव के विकास की ओर किसी का ध्यान तक नही है। कई लोग गांव छोडऩे पर मजबूर हैं।
गर्भवती महिलाओं को आती है ज्यादा परेशानी
गांव मे सड़क न होने की सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ती है। ग्रामीणों के अनुसार गांव से मुख्य मार्ग तक जाने मे महिलाओं की जान पर बन आती है। ग्र्रामीणों के अनुसार यहां पर एक दो बार सड़क की परेशानी के चलते गांव मे ही गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराना पड़ा। इतना कुछ होने के बावजूद भी गांंव की हालत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
पानी के लिए एक मात्र हैंडपंप चालू
गांव मे पानी की भी खासी समस्या है। गांव मे वैसे तो आधा दर्जन हैंडपंप हैं लेकिन इनमे से केवल एक हैंडपंप ही चालू अवस्था मंे है। पूरे गांव के लोग इसी हैंडपंप पर आधारित रहते हैं। गांव में अन्य जल स्त्रोतों की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। जैसे-जैसे सिंचाई बढ़ती जा रही है जल स्तर भी तेजी के साथ कम हो रहा है। गर्मी के दिनो में इस गांव में जल संकट उभर सकता है।
बारिश के दिनों में रहती है स्कूल की छुट्टी
लखमणखेड़ी गांव के ही कुछ ग्रामीण पहाड़ी पर रहती है जिसे लखमखेड़ी का खेड़ा कहा जाता है।
खेड़ा में निवासरत ग्रामीणों के बच्चों को लखमणखेड़ी में स्थित स्कूल आना पड़ता है लेकिन बीच में एक बड़ा नाला अवरोध पैदा करता है। बारिश के दिनों में जब नाले पर पानी रहता है तो उस अवधि के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा पाते है। ग्रामीणों का एक-दूसरे से संपर्क कट जाता है।
गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पंचायत द्वारा कई बार ठहराव प्रस्ताव तैयार कर सड़क निर्माण के लिए प्रक्षित किए जा चुके हैं, लेकिन समस्या आज भी बरकरार है।
प्रताप सिंह, सहायक सचिव