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मोरक्को में जलवायु शिखर सम्मेलन का आगाज

locationनई दिल्लीPublished: Sep 12, 2017 07:00:00 am

Submitted by:

Prashant Jha

इसका उद्देश्य गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा जलवायु प्रयासों का आकलन करना है।

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रबात: मोरक्को के दक्षिणी शहर अगादीर में सोमवार को दूसरे विश्व जलवायु सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इसका उद्देश्य गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा जलवायु प्रयासों का आकलन करना है। इस सम्मेलन में, दुनिया भर के गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए और इस घटना से संबंधित क्षति के विनाशकारी प्रभाव को देखते हुए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष जारी रखने के लिए जुटने का आह्वान किया। 
जलवायू कार्रवाई की समीक्षा

तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक जलवायु कार्रवाई एजेंडे की समीक्षा और दुनिया भर के गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा की गई प्रगति का आकलन करने पर केंद्रित किया जाएगा। यह नवाचारों को प्रोत्साहित करेगा, अधिक प्रभावी समाधानों को इंगित करेगा और जलवायु कार्रवाई से नई पहल की मांग करेगा।
अफ्रीकी शहरों की चुनौतियों पर चर्चा

शिखर सम्मेलन के दौरान, अफ्ऱीकी महाद्वीप के सामने आने वाले मुद्दों पर उपस्थित संस्थाओं द्वारा ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और अफ्रीकी शहरों की विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। 
पिछले साल सम्मेलन खींचतान के बीच फंसी

गौरतलब है कि मोरक्को में पिछले साल जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए पास की गई पेरिस डील को आगे बढ़ाने के बजाय तमाम देशों की आपसी खींचतान में रह गई थी इसके अलावा इस बात का भी कोई ज़िक्र नहीं है कि अमीर देश अपनी ज़िम्मेदारी कैसे निभाएंगे। एक अधिकार ने कहा कि “मोरक्को सम्मेलन में विकसित देश 2020 तक कार्बन उत्सर्जन कम करने की ज़िम्मेदारी से भागते नज़र आए हैं और पेरिस डील के तहत जो मदद दी जानी है, उस पर अमल करने के बजाय आंकड़ों की बाजीगरी करते दिखाए जा रहे हैं।
 धरती तेजी से हो रही गर्म

हालांकि औपचारिकता के लिए मोरक्को में पास हुए प्रस्ताव में ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने को प्राथमिकता देने की बात कही गई थी और ये भी माना गया कि धरती बहुत तेज़ी से गरम हो रही है, जिससे हालात चिंताजनक बने हुए हैं, लेकिन जानकार मोरक्को में पास हुए प्रस्ताव को खोखला और प्रभावहीन बता रहे हैं। क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क (साउथ एशिया) के निदेशक ने बताया था कि “पेरिस में सारे देशों ने साथ आकर एक उम्मीद जगाई और फिर साल भर के भीतर सभी देशों ने पेरिस डील को लागू किया, जिसमें सभी देशों की ज़िम्मेदारी तय की गई है, वहीं मोरक्को के सम्मेलन में विकसित देश ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में आर्थिक मदद की ज़िम्मेदारी से भागते दिखे।

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