जुलाई में ही मिल गई थी इस कानून को मंजूरी
आपको बता दें कि इस कानून को मिस्र की संसद की ओर से जुलाई में ही मंजूरी मिल गई थी। इस कानून में प्रावधान है कि देश के सुप्रीम काउंसिल फॉर मीडिया रेगुलेशन के पास ये अधिकार होगा कि वह सोशल मीडिया, वेबसाइट या ब्लॉग पर 5,000 से ज्यादा फॉलोअर्स वाले लोगों के अकाउंट्स की गतिविधियों जैसे पोस्ट, कमेंट्स आदि पर अपनी निगरानी रख सकते हैं।
इस संबंध में एक राजपत्र जारी कर दी गई ये जानकारी
जानकारी के मुताबिक कल इस संबंध में एक राजपत्र जारी किया था। इसमें बताया गया है कि ‘परिषद के पास फर्जी खबरों के प्रकाशन या प्रसारण करने या कानून का उल्लंघन करने, हिंसा या घृणा फैलाने वाली सूचनाओं का प्रसारण करने वालों के अकाउंटों को सस्पेंड करने का अधिकार होगा।
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मानवाधिकार समूहों की प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि ये नया कानून इंटरनेट पर शिकंजा कसने के उपायों की कवायद में बढ़ाया गया एक और कदम है। इस कानून के पास होने पर मानवाधिकार समूहों की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा है कि इस कानून का उद्देश्य ऑनलाइन अभिव्यक्ति की आजादी को कम करना दिखाई दे रहा है। उनके मुताबिक इंटरनेट सीसी के शासन प्रणाली को लेकर सार्वजनिक बहस और विचार और सुझावों को साझा करने के लिए उपलब्ध अंतिम मंचों में से एक है।