फर्जी सर्टिफिकेट दिखाकर कर रहा था नौकरी, RTI ने किया बड़ा खुलासा, FIR दर्ज
एनएमसी ने पीजी परीक्षा के इंटरनल बनाने के नियमों में जो बदलाव किया है, विशेषज्ञों के अनुसार यह छात्र हित में है। परीक्षा में प्राय: हर बार एचओडी इंटरनल की भूमिका में होता है। जिन मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर नहीं होते, वहां दूसरे कॉलेज से प्रोफेसर बुलाया जाता है और इंटरनल बनाया जाता है। नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में मेडिसिन व रेडियो थैरेपी, रेडियो डायग्नोसिस व पैथोलॉजी विभाग में तीन-तीन, जनरल सर्जरी, ऑर्थोपीडिक व ऑब्स एंड गायनी विभाग में दो-दो प्रोफेसर हैं।
अब एक दिन में आठ नहीं इससे ज्यादा छात्र कर सकेंगे प्रेक्टिकल
एनएमसी के नए नियम के मुताबिक अब एक दिन में 8 से ज्यादा पीजी छात्रों के प्रेक्टिकल कराए जा सकेंगे। पिछले साल तक इस पर राेक थी। पीडियाट्रिक विभाग ने एक दिन में 11 छात्रों का प्रेक्टिकल कराया था। इसकी शिकायत छात्रों ने सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक की थी। इसके बाद विवि ने परीक्षा रद्द कर दी थी। फिर पास हुए छात्रों ने हाईकोर्ट में विवि के निर्णय को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने विवि के निर्णय को बरकरार रखते हुए परीक्षा से जुड़े डॉक्टरों को जमकर फटकार लगाई थी। मेडिसिन विभाग में 17 पीजी स्टूडेंट है। उनका प्रेक्टिकल दो दिन में कराया गया था। कायदे से ये प्रेक्टिकल तीन दिनों में होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विवि तक शिकायत नहीं पहुंची इसलिए इस मामले में कोई कार्रवाई भी नहीं हुई।
टॉपिक एक्सपर्ट
तीन साल तक इंटरनल रखने व एक दिन में 8 से ज्यादा छात्रों को प्रेक्टिकल कराने संबंधी नया नियम छात्र हित में है। जहां पर्याप्त फैकल्टी है, वहां सभी प्रोफेसर को इंटरनल बनने का मौका मिलेगा। 9 या 10 छात्र है तो एक दिन में प्रेक्टिकल हो जाएगा।एनएमसी के नए नियमों से छात्रों को फायदा होगा। अब सीनियर फैकल्टी को बारी-बारी से इंटरनल बनने का मौका मिलेगा। नए नियम से एक फैकल्टी की मोनोपल्ली खत्म करने में मदद मिलेगी। प्रेक्टिकल की वीडियोग्राफी से पारदर्शिता बनी रहेगी।