इसको लेकर पीडि़त दोबारा न्यायालय पहुंचा था। बता दें कि पत्रिका ने इस मामले को 24 सितंबर 2019 के अंक में प्रमुखता से छापा था। पुलिस के मुताबिक समाज कल्याण विभाग के ज्वाइंट डॉयरेक्टर पंकज कुमार वर्मा ने अपनी नौकरी ज्वाइनिंग के लिए इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड रूरल टेक्नोलॉजी इलाहाबाद का तीन वर्षीया फिजियोथैरेपी डिप्लोमा का सर्टिफिकेट लगाया था। इस आधार पर उन्हें विभाग में नौकरी मिल गई।
आरटीआई से हुआ था खुलासा
सूचना के अधिकार (आरटीआई)के तहत खुलासा हुआ कि उन्होंने केवल दो साल तक इसकी पढ़ाई की थी। कोर्स पूरा नहीं किया था, जबकि छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग में उन्होंने तीन साल पूरा होने का सर्टिफिकेट लगाया था। उन्होंने फिजियोथैरेपी का फर्जी डिप्लोमा सर्टिफिकेट लगाया था। इसका खुलासा होने पर थाने में शिकायत की गई। कार्रवाई नहीं होने पर न्यायालय में परिवाद दायर किया गया। सुनवाई के बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट समीर कुजूर ने ज्वाइंट डॉयरेक्टर वर्मा के खिलाफ अपराध दर्ज करने का आदेश दिया।