पूजा करते समय अक्सर हम कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं जो हमारे सौभाग्य को नष्ट कर दुर्भाग्य लाती हैं
सनातन धर्म में घरों में रोज
पूजा करने के निर्देश दिए गए हैं। पूजा करते समय अक्सर हम कुछ ऐसी गलतियां कर जाते हैं जो हमारे सौभाग्य को नष्ट कर दुर्भाग्य लाती हैं। शास्त्रों में पूजा करने के लिए कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिन्हें मानने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और घर में अखंड धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
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(1) तुलसी के पत्तों को कभी भी बासी नहीं माना जाता। इन्हें जल से धोकर पुनः भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
(2) बिल्वपत्र भी कभी अशुद्ध या झूठे नहीं माने जाते। एक बार भगवान पर चढ़ाने के बाद उन्हें फिर से पानी से धोकर भगवान शिव को समर्पित किया जा सकता है। परन्तु ध्यान रखें कि ये पत्ते कटे-फटे न हों।
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(3) भगवान विष्णु को पीले रंग का रेशमी वस्त्र अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव को सफेद वस्त्र, मां दुर्गा (या उनके किसी भी रूप), गणेशजी तथा सूर्यदेव की पूजा में लाल रंग का वस्त्र समर्पित करना चाहिए।
(4) परिक्रमा करते समय भगवान शिव की 1/2, श्रीगणेश की 3, विष्णुजी की 4 और भगवान सूर्य की 7 परिक्रमा करनी चाहिए।
(5) दीपक को सदैव भगवान की प्रतिमा के सामने ही जलाना चाहिए। दीपक को कभी भी प्रतिमा के इधर-उधर नहीं रखना चाहिए।
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(6) जब भी देवताओं के लिए देसी घी का दीपक जलाना हो तो सफेद रूई की बत्ती का प्रयोग करना चाहिए। इसी तरह तेल का दीपक जलाते समय लाल धागे की बत्ती का प्रयोग किया जाता है।
(7) भगवान की पूजा के समय शरीर, आसन, वस्त्रों की शुद्धि तो आवश्यक है ही परन्तु सबसे बड़ी शुद्धि मन और मस्तिष्क की होनी चाहिए। पूजा के समय मन एकमात्र भगवान के ध्यान में ही लीन होना चाहिए।
(8) भगवान शिव को कभी हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए और न ही शंख से जल चढ़ाना चाहिए।
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(9) घर के पूजास्थल या मंदिर में रखे सूखे फूल, पत्तियां, हार आदि हटा लेने चाहिए।
(10) पूजा में पान का पत्ता अवश्य रखना चाहिए। पान के पत्ते के साथ इलायची, लौंग, गुलकंद भी अर्पित करने से देवता प्रसन्न होते हैं।
(11) पूजा आरंभ करते समय दीपक का विशेष ध्यान रखें। दीपक की बत्ती पर्याप्त लंबी तथा उसमें ठीक से घी भरा होना चाहिए। पूजा के बीच में दीपक का बुझना कभी भी शुभ संकेत नहीं होता है।