वाराणसी. बनारस और पूर्वांचल के पारंपरिक उत्पादों को विश्व बाजार दिलाने के लिए यूरोपीय यूनियन आगे आया है। यूरोपीय यूनियन का मानना है कि वाराणसी सहित पूर्वांचल के विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, हथकरघा व कृषि उत्पादों को अगर जीआई से पंजकृत करा लिया जाए तो जहां उत्पादनकर्ता को लाभ होगा और उसकी जीवनशैली में भी सकारात्मक परिवर्तन आएगा। साथ ही आम उपभोक्ता को भी गुणवत्तापूर्ण सही सामान मिल सकेगा।
यूरोपियन यूनियन की एक्सपर्ट मिस नातालिया पेसिनाटो का कहना है कि आने वाले समय में जीआई को बड़ी संभावना के रूप में देखा जा रहा है। इससे परंपरागत हस्तकलाओं एवं उत्पादों के संरक्षण के साथ विश्व बाजार में गु्णवत्ता और ब्रांडिंग के साथ पहुंचाने का आवसर तो प्राप्त होगा ही, साथ ही स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ता को असली उत्पाद प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने कहा कि यूरोपियन बाजारों में जीआई पंजीकृत उत्पादों को एक बड़ा अवसर प्राप्त होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारतीय जीआई उत्पाद उसी गुणवत्ता के आधार पर यूरोप सहित दुनिया के बाजारों में अपनी पैठ बना सकते हैं। पेसिनाटो शनिवार को वाराणसी में थीं। वह जीआई के प्रमोशन व ट्रेडमार्क के डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए आई हैं।
यूरोपीय यूनियन, वाणिज्य मंत्रालय व बौद्धिक संपदा के सहयोग से शनिवार को वाराणसी के एक होटल में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के मुख्य अतिथि जीआई मुंबई के डिप्टी रजिस्ट्रार राम अवतार तिवारी ने कहा कि बनारस जीआई पंजीकरण वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके अलावा पूर्वांचल में विविधता के साथ विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प, हथकरघा और कृषि व अन्य उत्पादों के जीआई पंजीकरण की अपार संभावनाएं हैं। इससे आने वाले समय में दुनिया के बाजार में गुणवत्ता के साथ इस परिक्षेत्र के जीआई उत्पाद अपनी धूम मचाएंगे। उपभोक्ताओं को असली उत्पाद प्राप्त होगा और सतत रोजगार की संभावनाएं विकसित होंगी। यूरोपीय यूनियन, भारत सरकार के साथ मिल कर इस दिशा में सहयोग कर रहा है। इसके व्यापक प्रचार प्रसार और प्रशिक्षण दे कर उत्पादनकर्ता को उचित स्थान प्राप्त हो सकेगा और गुणवत्ता के साथ उनकी जीवनशैली में भी सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ट्रेडमार्क की प्रक्रिया को सूचना प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ दिया गया है। इससे अब सभी तरह की समस्या का निस्तारण ऑनलाइन व समयबद्ध तरीके से पूरी पारदर्शिता के साथ किए जा सकेंगे। इससे व्यापार के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी और काम आसान हो जाएगा।
जीआई रजिस्ट्री, चेन्नई के सहायक रजिस्ट्रार चिन्नाराजा जी नायडू ने कहा कि जीआई ऑथराइज्ड यूजर प्रक्रिया के सरलीकरण के साथ जीआई उत्पादों को मेक इन इंडिया से जोड़ दिया गया है। आने वाले समय में जीआई पंजीकरण में काफी तेजी आएगी।
कार्यक्रम में यूरोपियन यूनियन के प्रोजेक्ट विशेषज्ञ सचिन अरोड़ा, टेक्सास वूमेन स्टडी सेंटर की चेयरपर्सन जेनिफर क्लार्क, डीडीएम-नाबार्ड सुशील तिवारी, मुकुंद अग्रवाल, बृजेश शुक्ला, एके वर्मा, प्रो. चतुर्भुज तिवारी, बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल पांडेय, महामंत्री आनंद मिश्रा, शशांक शेखर त्रिपाठी, राजेश मिश्रा, डॉ. सुषमा श्रीवास्तव, सुनील, रमजान अली, गोदावरी सिंह, बच्चे लाल मौर्य, कुंज बिहारी, सोहित प्रजापति, रामजतन प्रजापति सहित जीआई रजिस्टर्ड प्रोपराइटर, निर्यातक, राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार प्राप्त शिल्पी मौजूद रहे। संचालन डॉ. रजनी कांत ने किया।