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वाराणसी

फर्जी नौकरी देने के लिए खोली अकादमी , जाली नियुक्ति पत्र जारी कर देता था वेतन

कैंट पुलिस ने 1.5 करोड़ रुपये ठगी कर चुके गैंग का किया खुलासा, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीJul 15, 2017 / 06:52 pm

Devesh Singh

Cantt Police

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वाराणसी. कैंट पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो पहले तो पैसों लेकर लोगों की सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने की बात करता था और फिर फर्जी कागजात के आधार पर नौकरी मिल जाने की बात कहते हुए वेतन भी देता था। गैंग के सदस्यों ने लखनऊ में बकायदा एकेडमी तक स्थापित की है, जहां पर लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है। शनिवार को एसपी सिटी दिनेश सिंह ने गैंग से जुड़ी जानकारी मीडिया से साझा की।


उन्होंने कहा कि पुलिस में कुछ लोगों ने मुकदमा दर्ज कराया था कि कुछ लोग सरकारी नौकरी दिलाने का झासा देकर लाखों रुपये लेते हैं। बदल में उन्हें नौकरी मिल जाने के कागजात भी दिये जाते हैं और बाद में पता चलता कि सारे कागजात फर्जी होते थे। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपनी जांच शुरू कर दी थी। कैंट थाना प्रभारी फरीद अहमद ने मामले की जांच करते हुए दो लोगों को पुलिस लाइन चौराहा, मकबूल आलम रोड के पास से पकड़ा। इसके बाद पुलिस ने जब पकड़े गये अभियुक्तों से पूछताछ की तो सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ। 

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एसपी सिटी ने बताया कि पुलिस पूछताछ में दोनों ने अपना नाम इन्द्रदेव, निवासी भोपा बाजार चौरी चौरा गोरखपुर व दूसरे ने अपना नाम संजय यादव मगोलेपुर, थाना चोलापुर बताया है। दोनों अभियुक्तों ने पुलिस को बताया कि गिरोह के लोग नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करते हैं। लखनऊ में भी सक्रिय गिरोह के लोग वहां पर पढऩे वाले युवकों को झासा देकर अपनी कोचिंग में दाखिला कराते हैं और पैसे लेकर सरकारी नौकरी देने का वायदा करते थे। पुलिस ने गिरोह के सदस्यों के पास से फर्जी परिचय पत्र, फर्जी स्टाप पेपर, फर्जी नियुक्ति प्रमाप पत्र बरामद किया है। एसपी सिटी दिनेश सिंह ने बताया कि गिरोह के अन्य सदस्यों की जानकारी मिल गयी है और उन्हें पकडऩे के लिए अभियुक्तों को रिमांड पर लेकर विभिन्न जगहों पर जायेंगे।


फर्जी नियुक्ति कर देते थे वेतन
एसपी सिटी दिनेश सिंह ने बताया कि गिरोह के सदस्य पद के अनुसार लोगों से पैसे वसूलते थे। उसके बाद फर्जी नियुक्ति पत्र को डाक से संबंधित लोगों के घर भेज देते थे, जिससे लोगों का लगता था कि उन्होंने सही हाथों में पैसा दिया है। इसके बाद गिरोह के सदस्य कहते थे कि कुछ दिन आपको कॉन्ट्रेक्ट पर काम करना होगा। इसके बाद आप नियमित हो जायेंगे। गिराहे के सदस्य ऐसे लोगों से नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये वसूलते थे और फिर कुछ माह तक तीस से चालीस हजार तक वेतन देते थे। इसके बाद बचे हुए पैसे लेकर फरार हो जाते थे। गिरोह के सदस्य सारा लेन-देन नगद ही करते थे। एसपी सिटी के अनुसार गिराहे के सदस्यों ने बताया कि मेरठ निवासी एसबी सिंह ही मुख्य सरगना है। पुलिस को अभी 1.5 करोड़ की ठगी की जानकारी मिली है। जांच में ठगी गयी धनराशि बढ़ सकती है।

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