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अब होगा आतंकियों का खात्मा, भारतीय सेना को मिला वो, जिससे खौफ खाती है दुनिया!

इसके तहत आतंकियों के खात्‍मे के लिए हर वक्त मुस्तैद रहने वाली भारतीय सेना के साथ अब कमांडोज देंगे। ये हाईली स्‍पेशलाइज फोर्स के कमांडोज हर मोर्चे पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए है तैयार किये जाते हैं…

Jul 20, 2017 / 11:41 am

राहुल

Indian Navy marcos helping army flush out terroris

Indian Navy marcos helping army flush out terrorists in kashmir

नई दिल्ली: भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर की अमन और शांति में खलल डालने वाले आतंकियों की अब खैर नहीं क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खात्‍मे के लिए अब एक नया खाका तैयार कर लिया गया है। इसके तहत आतंकियों के खात्‍मे के लिए हर वक्त मुस्तैद रहने वाली भारतीय सेना के साथ अब कमांडोज देंगे। ये हाईली स्‍पेशलाइज फोर्स के कमांडोज हर मोर्चे पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए है तैयार किये जाते हैं। ये कमांडोज कोई और नहीं बल्कि नौसेना के मरीन कमांडो होंगे। इन्‍हें मार्कोस भी कहा जाता है।

मुंबई हमले के दौरान ताज होटल पर हुए आतंकी हमले में पहला मोर्चा संभालने वाले मार्कोस कमांडो दुनिया के बेहतरीन कमांडो दस्‍ते में गिने जाते हैं। 
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इन कमांडो को बेहद कड़ी ट्रेनिंग से होकर गुजरना होता है। मार्कोस जल, थल और वायु सभी जगह ऑपरेशन को अंजाम देने में महारत हासिल रखते हैं। 
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भारत के मार्कोस (मरीन) कमांडो सबसे ट्रेंड और मार्डन माने जाते हैं। मार्कोस को दुनिया के बेहतरीन यूएस नेवी सील्स की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। मार्कोस कमांडो बनाना आसान नहीं है। इसके लिए सेलेक्‍ट होने वाले कमांडोज को कड़ी परीक्षा से गुजरना होता है। 20 साल उम्र वाले प्रति 10 हजार युवा सैनिकों में एक का सिलेक्शन मार्कोस फोर्स के लिए होता है। इसके बाद इन्हें अमेरिकी और ब्रिटिश सील्स के साथ ढाई साल की कड़ी ट्रेनिंग करनी होती है। देश के मरीन कमांडो जमीन, समुद्र और हवा में लड़ने के लिए पूरी तरह से सक्षम होते हैं।
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मार्कोस इंडियन नेवी के स्पेशल मरीन कमांडोज हैं। स्‍पेशल ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी के इन कमांडोज को बुलाया जाता है। ये कमांडो हमेशा सार्वजनिक होने से बचते हैं। मार्कोस हाथ पैर बंधे होने पर भी तैरने में माहिर होते हैं।

मार्कोस का निकनेम ‘मगरमच्छ ‘ है। अप्रैल 1986 में नेवी ने एक मैरीटाइम स्पे शल फोर्स की योजना शुरू की। एक ऐसी फोर्स जो मुश्किल ऑपरेशनों और काउंटर टेररिस्टि ऑपरेशनों को अंजाम दे सकें।
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फिलहाल इन कमांडोज को झेलम नदी वाले इलाके में तैनात किया गया है। यह पूरा इलाका पहाड़ों और पेड़ों से पटा हुअा है, जिसकी वजह से यह आ‍तंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन जाता है। इस इलाके को आतंकी खुद के और अपने हथियारों को छिपाने के लिए इस्‍तेमाल करते हैं। मार्कोस का काम इस पूरे इलाके को आतंकियों से क्‍लीन करने का होगा।

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