भारत की आजादी की पहली
लड़ाई अर्थात् 1857 के विद्रोह की शुरूआत मंगल पाण्डेय से हुई जब गाय व सुअर कि
चर्बी लगे कारतूस लेने से मना करने पर उन्होंने विरोध जताया। इसके परिणाम स्वरूप
उनके हथियार छीन लिये जाने व वर्दी उतार लेने का फौजी हुक्म हुआ। मंगल पाण्डेय ने
उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और 29 मार्च सन् 1857 को उनकी राइफल छीनने के
लिये आगे बढ़े अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर हमला कर दिया।
इसके पूर्व उन्होंने अपने
अन्य साथियों से उनका साथ देने का आह्वान भी किया था किन्तु कोर्ट मार्शल के डर से
जब किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया तो उन्होंने अपनी ही रायफल से उस अंग्रेज अधिकारी
मेजर ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया जो उनकी वर्दी उतारने और रायफल छीनने को आगे
आया था। इसके बाद विद्रोही मंगल पाण्डेय को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड़ लिया। उन पर
कोर्ट मार्शल द्वारा मुकदमा चलाकर 6 अप्रैल 1857 को मौत की सजा सुना दी गयी।
कोर्ट
मार्शल के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फाँसी दी जानी थी, परन्तु इस निर्णय की
प्रतिक्रिया कहीं विकराल रूप न ले ले, इसी कूट रणनीति के तहत ब्रटिश सरकार ने मंगल
पाण्डेय को निर्धारित तिथि से दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन् 1857 को फाँसी पर लटका
कर शहीद कर दिया।