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नया नियमः घर मुहैया कराने में हुई देरी तो बिल्डर चुकाएंगे कीमत

Published: Oct 30, 2016 07:47:00 pm

Submitted by:

Abhishek Tiwari

इस नियम के लागू हो जाने के बाद से ग्राहकों को देर से घर मुहैया कराने की स्थिति में बिल्डर्स को 12 प्रतिशत का ब्याज देना होगा

Unsold flats

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही एक बड़े तबके को खुशखबरी देने की तैयारी में है। सरकार की कोशिश है कि बिल्डरों के लेटलतीफी का खामियाजा अब ग्राहकों के सर पर न आए बल्कि इसके लिए बिल्डर्स ही जिम्मेदार हो। मिली जानकारी के अनुसार सरकार सोमवार से रियर एस्टेट(रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट के नियम जारी कर सकती है।

देरी से घर मुहैया कराने पर बिल्डर्स को देना होगा 12 प्रतिशत का ब्याज
इस नियम के लागू हो जाने के बाद से ग्राहकों को देर से घर मुहैया कराने की स्थिति में बिल्डर्स को 12 प्रतिशत का ब्याज देना होगा। नियमों के नोटिफिकेशन जारी होने के बाद रियाल एस्टेट सेक्टर में ग्राहकों को बिल्डरों की मनमानी और धोखाधड़ी से बड़ी राहत मिलेगी।

सबसे पहले केंद्र शासित प्रेदशों में लागू किया जाएगा यह नियम
सरकार इस नियम को सबसे पहले केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, दमन-दीव, नगर हवेली और लक्षदीप में लागू करेगी। शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राजधानी दिल्ली में ये नियम करीब एक महीने के वक्त के बाद लागू होंगे। यूपी, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और गोवा जैसे राज्य भी जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरी करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

महाराष्ट्र में पहले ही जारी कर दिया गया था ड्राफ्ट
महाराष्ट्र सरकार ने सितंबर में ही ड्राफ्ट के नियमों को जारी कर दिया था और जनता से उन पर सलाह मांगी थी। दक्षिणी राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल भी नियम जारी और लागू करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं।

केंद्र से मिल चुका है राज्यों को निर्देश
एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकारों से जल्द ही कानून में बताए गए निर्देशों के मुताबिक नियम तय करके नोटिफिकेशन जारी करने के कह दिया है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर राज्य सरकारें केंद्र के नोटिफिकेशन को मॉडल ऐक्ट के तौर पर स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद समेत कई जगहों पर डिवेलपमेंट अथॉरिटीज के साथ विचार-विमर्श कर रही है, ताकि जल्द से जल्द नियमों को लागू किया जा सके।

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