‘वी द सिटिजंस’ नामक एनजीओ ने एक याचिका दाखिल कर संविधान के अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 को यह कहते हुए चुनौती दी है कि इन प्रावधानों के चलते जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के कई लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर रही है।
नई दिल्ली। ‘वी द सिटिजंस’ नामक एनजीओ ने एक याचिका दाखिल कर संविधान के अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 को यह कहते हुए चुनौती दी है कि इन प्रावधानों के चलते जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के कई लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए तीन जजों की एक पीठ गठित करने की बात कही है जो छह हफ़्तों के बाद इस पर सुनवाई शुरू करेगी।
इस अनुच्छेद में किसी तरह के हेर-फेर को मंजूरी नहीं
संविधान के अनुच्छेद 35ए में किसी तरह के हेर-फेर के खिलाफ जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस जैसे मुख्यधारा के दलों और उनकी पार्टी पीडीपी अपने कार्यकर्ताओं के लिए खतरा मोल नहीं लेंगे जो कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज की रक्षा कर रहे हैं। इस अनुच्छेद में किसी तरह के हेर-फेर को मंजूरी नहीं दी जाएगी। इस अनुच्छेद के तहत देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों को जम्मू कश्मीर में अचल संपत्ति का अधिग्रहण या राज्य सरकार में रोजगार नहीं मिल सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बहस के लिए तीन सदस्यीय जजों के बेंच को सौंप दिया है।
…तो तिरंगे को कोई नहीं उठाएगा
महबूबा ने कहा कि यदि इस धारा में बदलाव होता है तो मुझे यह कहते हुए झिझक नहीं होगी कि कश्मीर में गिरे हुए तिरंगे को भी कोई नहीं उठाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के प्रावधान लागू कर आप अलगाववादियों पर निशाना नहीं साध रहे बल्कि उन राजनीतिक ताकतों को कमजोर कर रहे हैं जिन्होंने भारत को कश्मीर का अंगमान कर चुनावों में हिस्सा लिया है। ऐसी ताकतें जम्मू कश्मीर को भारत के साथ मिलाने का प्रयास कर रही हैं और इस अनुच्छेद को हटाने की कोशिश कर आप उन्हें कमजोर बना रहे हैं।