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भारत की कूटनीतिक विजय, PoK में निवेश नहीं करेंगी बड़ी कंपनियां

Published: Jul 21, 2017 12:19:00 pm

भारतीय कूटनीति धीरे-धीरे अपनी बात मनवाने में सफल होती जा रही है। भूटान के क्षेत्र में आने वाले डोकलाम पर भारत ने चीन को सड़क का निर्माण करने से रोककर लगभग पूरी विश्व बिरादरी का समर्थन पा लिया।

CPEC File Photo

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नई दिल्ली। भारतीय कूटनीति धीरे-धीरे अपनी बात मनवाने में सफल होती जा रही है। भूटान के क्षेत्र में आने वाले डोकलाम पर भारत ने चीन को सड़क का निर्माण करने से रोककर लगभग पूरी विश्व बिरादरी का समर्थन पा लिया। इसके बाद भारत लगातार बड़े निवेशक देशों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में निवेश नहीं करने के लिए समझाता रहा है। इसके लिए किए जा रहे भारत के कूटनीतिक प्रयासों के नतीजे अब आने लगे हैं। बडे़ देश पीओके में निवेश के अपने फैसलों को बदलने पर विचार करने लगे हैं। दक्षिण कोरिया की डायलिम इंडस्ट्रियल कंपनी लिमिटेड ने पीओके में अपने निवेश पर पुर्नविचार करना शुरू कर दिया है। डायलिम पीओके में झेलम के तट पर मुजफ्फराबाद में 500 मेगावॉट का चकोती हट्टियन हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट विकसित करने वाली कंपनियों के समूह की सबसे बड़ी कंपनी है।

ये संस्थाएं भी नहीं करेंगी निवेश
डायलिम के साथ ही एशियन डेवलपमेंट बैंक, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन और एक्जिम बैंक ऑफ कोरिया ने भी पीओके में निवेश को लेकर असमर्थता जताई है। पीओके के सूचना मंत्री मुश्ताक अहमद मिन्हास ने इसकी पुष्टि की है। इसके अलावा एक और कोरियाई वित्त कंपनी भी पीओके में निवेश को लेकर उत्साहित नहीं दिखा रही है। ऐसे में पीओके का कोहला हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट भी स्थगित हो सकता है।


पीओके में निवेश के लिए दबाव बना रहा है पाक
पाकिस्तान बहुत ही आक्रामक रूप से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और चीन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों पर पीओके में निवेश करने के लिए दबाव बना रहा है। पाकिस्तान की कोशिश है कि इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी प्रोजेक्ट पर दुनिया भर से निवेश पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान में ले आया जाए। दोनों अविभाजित जम्मू-कश्मीर का हिस्सा रहे हैं इसलिए भारत का हिस्सा है।

साउथ कोरियाई कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करे भारत
साउथ कोरियाई कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए
सेंटर फॉर चाइना एनालिस्ट और स्ट्रैटजी के प्रेसिडेंट जयदेव रानाडे ने इसे भारत के हित में करार दिया। कैबिनेट सचिवालय में एडिशनल सेक्रेटरी रहे रानाडे ने कहा, इन चीजों को हमें फॉलो करना चाहिए। होना ये चाहिए कि हम साउथ कोरिया और उसकी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहित करें, उन क्षेत्रों में जहां हम कमजोर हैं, जैसे शिपबिल्डिंग।

हमारी चिंताओं को समझ रहे हैं दुनिया के देशः श्याम सरन 
पीओके में निवेश को लेकर पहले माहौल बना था। बाद में वित्तीय संस्थानों और कई देशों ने इस क्षेत्र में निवेश को लेकर अपने हाथ पीछे खींच लिए, इन सबके पीछे गिलगित-बाल्टिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर के लीगल स्टेटस का भी मामला है। पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने कहा कि यह सब भारत के राजनीतिक प्रयासों का नतीजा है। यह हमारे लिए बहुत अच्छा है कि दुनिया के देश हमारी चिंताओं को समझ रहे हैं।

भारत का भू-भाग है पीओके, पाक का है अवैध कब्जा
पीओके भारत का भू-भाग है, पाक का उस पर अवैध कब्जा है। चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की घोषणा के बाद से भारत इस पर अपना विरोध जताता रहा है। भारत का कहना है कि चीन और पाकिस्तान भारतीय क्षेत्र में कोई निवेश न करें, क्योंकि इस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। भारत की चिंताओं पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

पीओके को कानूनन राज्य बनाने का दबाव डाल रहा है चीन
दक्षिण कोरिया के अलावा चीन भी पाकिस्तान पर गिलगित बाल्टिस्तान के लीगल स्टेटस को लेकर दबाव डाल रहा है। चीन पाकिस्तान पर संविधान संशोधन कर पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान के स्टेटस को लीगल करने पर जोर दे रहा है। चीन के दबाव में ही हाल में नवाज शरीफ ने गिलगित बाल्टिस्तान को अपना पांचवां प्रांत घोषित किया है।

एडीबी ने फंड करने से मना किया
इससे पहले एशियन डवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने 14 अरब डॉलर के डायमर-भाषा डैम को फंड करने से मना कर दिया था। यह प्रोजेक्ट शुरू से ही फंड की समस्या से जूझ रहा है। 2012 के बाद से ही कई सारे स्पांसर्स ने अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।

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