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गुजरात के ‘बापू’ ने लिया राजनीति से संन्यास, बोले किसी पार्टी का झंडा नहीं उठाऊंगा

Published: Jul 21, 2017 11:02:00 pm

वाघेला ने अपने 77वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह में बोलते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे 24 घंटे पहले निकाल दिया, ये सोच कर कि पता नहीं मैं क्या कहता। विनाश काले विपरीत बुद्धि।

shankar singh waghela

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नई दिल्ली: आखिरकार कांग्रेस के कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ दी। इस तरह पिछले कई महीनों से चल रहे ‘बापू’ को लेकर सस्पेंस का पटाक्षेप हो गया। प्रदेश की राजनीति में इसे एक अहम मोड़ माना जा रहा है। अपने 77वें जन्म दिवस पर गांधीनगर के टाउन हॉल परिसर में आयोजित सम-संवेदना सम्मेलन में वाघेला ने खुद कांग्रेस छोडऩे का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वे नेता प्रतिपक्ष से इस्तीफा दे रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के बाद 15 अगस्त से पूर्व वे विधायक पद से भी इस्तीफा दे देंगे।

अपने पूरे राजनीतिक सफर की चर्चा की 
वाघेला ने यह भी कहा कि अब वे दलगत राजनीति भी छोड़ रहे हैं। वे न तो भाजपा और न ही किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होंगे। हिन्दी में अपने संबोधन के दौरान वाघेला ने पहले यह बात कही कि उन्हें 24 घंटे पहले कांग्रेस ने पार्टी से निकाल दिया। उन्होंने कॉलेज के दौरान कांग्रेस के सेवा दल से जुडऩे से लेकर आरएसएस और जनसंघ तथा भारतीय जनता
पार्टी के दिनों तथा मुख्यमंत्री बनने तक की चर्चा की।

20 वर्ष बाद नियति फिर वहीं ले आई 
वाघेला ने कहा कि 20 वर्ष पहले उन्होंने भाजपा छोड़ी थी और नियति का खेल देखिए 20 वर्ष बाद फिर से नियति वहीं पर आकर खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा कि 20 वर्ष पहले भाजपा छोड़ते समय भी वे विचलित थे और आज फिर कांग्रेस के साथ वही मामला आ चुका है। उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस उनका गोत्र (आरएसएस) कभी नहीं भूल सकी। उन्हें सत्ता का लालच नहीं है वे मुख्यमंत्री भी नहीं बनना चाहते हैं। उन्होंने अंतरआत्मा की आवाज से खुद कांग्रेस छोड़ रहे हैं।

सोनिया-राहुल की तारीफ 
हालांकि वाघेला ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सराहना की और कहा कि उनके लिए जनता ही हाईकमान है। सब कुछ छोड़ देंगे, लेकिन जनता को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने सोनिया व राहुल से दिल्ली में बैठक में यह कह दिया था कि वे पार्टी में ज्यादा समय तक नहीं रहेंगे और साथ में यह भी कहा था कि वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

कांग्रेस व एनसीपी के दो-दो विधायक पहुंचे
इस सम्मेलन में कांग्रेस के दो विधायक पहुंचे। इनमें एक वाघेला के पुत्र महेन्द्र सिंह वाघेला और जामनगर ग्रामीण से कांग्रेस विधायक राघवजी पटेल शामिल थे। पटेल ने शुक्रवार सुबह ही कह दिया था कि वे इस सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे। पटेल के अलावा एनसीपी के दोनों विधायक-जयंत बोस्की व कांधल जाडेजा भी इस सम्मेलन में उपस्थित रहे।बोस्की एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने समर्थक विधायकों को भी बंधन से मुक्त करते हैं। ये विधायक अपने भविष्य के निर्णय को पूरी तरह स्वतंत्र हैं।

कांग्रेस ने नहीं निकाला: पटेल
अहमदाबाद. राज्य के कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला की ओर से किए गए कांग्रेस से निकाले जाने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से नहीं निकाला है। उन्होंने ही खुद इसका ऐलान किया है। यदि कांग्रेस से उन्हें 24 घंटे में निकाला होता तो फिर वाघेला को इस बात का ऐलान करना किसी रूप से तार्किक नहीं है। पटेल के मुताबिक दो दिन पहले ही
प्रदेश कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता वाघेला से मिले थे और सभी ने उनसे पार्टी के लिए काम करने को कहा था।

वाघेला ने गलत टाइम पर पार्टी छोड़ी: गहलोत
उधर पार्टी के प्रदेश प्रभारी व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शंकर सिंह वाघेला ने गलत टाइम पर पार्टी छोड़ी। नईदिल्ली में वाघेला के कांग्रेस छोडऩे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इससे पार्टी को कोई नुकसान नहीं होने वाला है। कांग्रेस ने हमेशा उनका सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि इस बार गजुजरात में कांग्रेस की सरकार बनेगी।
गहलोत ने यह भी विश्वास जताया कि वाघेला राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत दिलाएंगे।

मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब इस बारे में शंकर सिंह वाघेला से पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं होने की बात कही। साथ ही ये भी कहा कि उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को वोट दिया है।
 
शंकर सिंह वाघेला का राजनीतिक सफर 
शंकर सिंह वाघेला की जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हैं। 40 सालों से ज्यादा के राजनीतिक करियर के दौरान वाघेला 1996-97 के बीच गुजरात के सीएम रहे।

1- 1977 में 6वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
2– 1977-1980 के बीच गुजरात जनता पार्टी के उपाध्यक्ष रहे। 
3- 1980-1991 में वो बीजेपी के महासचिव और गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष रहे।
4- 1984-1989 में वाघेला राज्यसभा के सांसद रहे।
5- 1989 में वो लोकसभा के लिए चुने गए, 1991 में वो दोबारा सांसद बनने में कामयाब रहे।
6- 1996-1997 के बीच वो गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे।
7- बीजेपी से बगावत करने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए और 1999-2004 के बीच कांग्रेस की ओर से सांसद रहे।
8- 2004 में वघेला यूपीए सरकार में कपड़ा मंत्री रहे।

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