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…ऐसे समझें एसेट अलोकेशन और निवेश पर पाएं अच्छा रिटर्न

Published: Dec 11, 2016 09:22:00 am

सेविंग्स से बेहतर रिटर्न के लिए जरूरी है कि इन्वेस्टमेंट से पहले एसेट अलोकेशन को लेकर अच्छी रणनीति बनाई जाए। पोर्टफोलियो में जितनी विविधता होगी, उतना ही अच्छा रिटर्न मिलेगा…

Asset Allocation

Asset Allocation

निमेश शाह, एमडी एवं सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी

सेविंग्स से बेहतर रिटर्न के लिए जरूरी है कि इन्वेस्टमेंट से पहले एसेट अलोकेशन को लेकर अच्छी रणनीति बनाई जाए। पोर्टफोलियो में जितनी विविधता होगी, उतना ही अच्छा रिटर्न मिलेगा। रिटेल इन्वेस्टर्स का रुझान निश्चित रिटर्न वाले विकल्पों से अच्छे रिटर्न वाले विकल्पों की ओर बढ़ रहा है। भारतीय निवेशकों ने अब थोड़ी रिस्क लेनी शुरू कर दी है, जिससे म्युचुअल फंड्स की मांग बढ़ रही है। हालांकि एसेट अलोकेशन को लेकर अभी भी निवेशकों की रणनीति उतनी कारगर नहीं लगती।

क्या है एसेट अलोकेशन

निवेश की वह रणनीति जो निवेशकों को यह तय करने में मदद करती है कि किस टूल में कितनी राशि निवेश की जाए। अच्छे अलोकेशन से ही नुकसान की आशंका को न्यूनतम कर अधिकतम लाभ हासिल किया जा सकता है। ऐसे में इन्वेस्टमेंट टूल की रिस्क और रिटर्न को देखते हुए उसमें निवेश का अनुपात तय किया जाता है। अलोकेशन से पहले निवेशक के वित्तीय लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से समझना बेहद जरूरी है। इसके अलावा निवेशक की जोखिम लेने, बचत करने और टिके रहने की क्षमताओं की जानकारी होना भी बेहद जरूरी है।

…इसलिए महत्वपूर्ण है एसेट अलोकेशन

इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी में एक बात बेहद महत्वपूर्ण है कि सभी टूल्स के रिटर्न में एक साथ उतार या चढ़ाव नहीं आता है। म्युचुअल फंड, गोल्ड, प्रॉपर्टी, स्टॉक्स या अन्य निवेश विकल्पों में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं। ऐसे में सारी बचत को एकमुश्त किसी एक टूल में निवेश करने से अच्छा है, निवेश में विविधता रखी जाए। उचित अनुपात में रखी गई विविधता ही निवेश विकल्पों से अधिकतम रिटर्न सुनिश्चित करने में मदद करती है।

रिस्क कैपेसिटी और होल्डिंग पीरियड

एसेट अलोकेशन में इन्वेस्टर्स की रिस्क कैपेसिटी और होल्डिंग पीरियड काफी महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के तौर पर यदि 3 वर्ष से कम के लिए निवेश करना है तो इक्विटी में निवेश नहीं करना चाहिए और यदि समय सीमा 5 वर्ष से अधिक है तो इक्विटी में निवेश करना चाहिए। 

स्ट्रैटजिक-टेक्टिकल अलोकेशन

इसमें अलग-अलग टूल्स में अमाउंट निवेश किया जाता है और रिटर्न विभिन्न श्रेणियों का औसत होता है। उदाहरण के लिए 15 फीसदी रिटर्न के साथ इक्विटी में 60 फीसदी अमाउंट और 5 फीसदी रिटर्न के साथ डेट में 40 फीसदी अमाउंट निवेश किया जाता है तो पोर्टफोलियो का औसत रिटर्न 11 फीसदी होगा। इसी तरह छोटे समय में अच्छे अवसरों का लाभ उठाने के लिए टेक्टिकल अलोकेशन का प्रयोग किया जाता है। इसमें इन्वेस्टमेंट टूल के अल्पकालीन उतार-चढ़ाव पर नजर रखी जाती है।

डायनेमिक अलोकेशन

रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए डायनेमिक अलोकेशन उपयुक्त विकल्प है। दरअसल, सभी निवेशकों के लिए मार्केट को लगातार ट्रैक करना आसान नहीं होता है। डायनेमिक फंड निवेशकों को एसेट अलोकेशन की गणना किए बगैर एसेट अलोकेशन टूल के उपयोग की सुविधा देते हैं।

बैलेंस्ड म्युचुअल फंड

रिस्क और रिटर्न को बैलेंस करने के लिए बैलेंस्ड फंड अच्छा विकल्प है। इसमें लगभग 65 फीसदी इक्विटी में और 35 फीसदी डेट फंड्स में निवेश किया जाता है। इसमें बाजार में गिरावट रहने पर इक्विटी में निवेश करने और बढ़त रहने पर मुनाफावसूली की जाती है, इस तरह से रिस्क कम की जाती है। इसका उद्देश्य लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न देना होता है।

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