श्रीदेवी ने 2012 में ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से दमदार कमबैक किया था, लेकिन इसके बाद उनकी कोई बॉलीवुड फिल्म नहीं आई। अब वह अपनी 300वीं फिल्म ‘मॉम’ से वापस आई हैं, जो कि उन्हें केन्द्र में रखकर बनाई गई है। फिल्म का विषय समसामयिक है, जो पिछले कुछ सालों से मीडिया और समाज के बीच सुर्खियों में बना हुआ है यानी रेप । चूंकि इस विषय और इससे मिलते-जुलते मुद्दों पर लगातार फिल्में आ रही हैं। ऐसे में कहानी के मामले में निर्देशक रवि उदयवार की ‘मॉम’ भी साधारण है, लेकिन इसका प्रजेंटेशन और कलाकारों का अभिनय इसे रोचक बनाए रखता है। इस हार्ड-हिटिंग रिवेंज ड्रामा में दिखाया है कि बच्चों के लिए मां कुछ भी कर सकती है।
डायरेक्शन : रवि उदयवार
स्टोरी : रवि उदयवार, गिरीश कोहली, कोना वेंकटराव
स्टार कास्ट : श्रीदेवी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अक्षय खन्ना, अदनान सिद्दकी, सजल अली, अभिमन्यु सिंह, पितोबोस त्रिपाठी, सुशांत सिंह
म्यूजिक एंड बैकग्राउंडस्कोर : ए.आर. रहमान
रेटिंग : 3 स्टार
रनिंग टाइम : 147.43 मिनट
कहानीदिल्ली के एक स्कूल में बायोलॉजी की टीचर देवकी (श्रीदेवी) की सौतेली बेटी है आर्या (सजल अली)। आर्या देवकी को मां के रूप में स्वीकार नहीं कर पाई है, लिहाजा वह उसे मैम कहकर ही संबोधित करती है। वैलेंटाइंस डे की नाइट दोस्तों के साथ एक फार्महाउस में पार्टी में गई आर्या देर रात तक घर नहीं लौटती। दरअसल, आर्या का क्लासमेट मोहित और उसका बिगडै़ल भाई व दोस्त बदला लेने के लिए उसका रेप करके नाले में फेंक देते हैं। मामला अदालत में जाता है, पर उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिलने से वे बरी हो जाते हैं। देवकी का लॉ से विश्वाास उठ जाता है और वह अपनी बेटी का दर्द देखकर गुनहगारों को अपने तरीके से सबक सिखाने की ठान लेती है, जिसमें उसकी मदद डिटेक्टिव दयाशंकर कपूर यानी डीके (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) करता है। इधर, देवकी का पति आनंद (अदनान सिद्दकी) कानूनी लड़ाई में मशगूल रहता है। इसके बाद ट्विस्ट्स और टन्र्स के साथ कहानी अंजाम तक पहुंचती है।
एक्टिंग फिल्म का पावरहाउस श्रीदेवी हैं, जिन्होंने इमोशंस के साथ किरदार को जिया है। वह एक तरफ करुणामयी मां हैं तो दूसरी तरफ गुनहगारों के लिए शेरनी से कम नहीं हैं। सौतेलीबेटी के रोल में सजल अली ने बगावती तेवर बखूबी दिखाए हैं, वहीं एक रेप विक्टिम के दर्द को पर्दे पर महसूस कराने में भी सफल रही हैं। अपने लुक, अदायगी और लहजे से एक बार फिर नवाज कुछ अलग कर गए हैं। कॉप की भूमिका में अक्षय खन्ना फिट हैं, वहीं श्रीदेवी के पति के किरदार में अदनान सिद्दीकी ने सहज अभिनय किया है। अभिमन्यु सिंह, विकास वर्मा और अन्य सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक है।
डायरेक्शन प्लॉट में ताजगी नहीं है। प्रीडिक्टेबल कहानी होने के बावजूद क्रिस्प स्क्रीनप्ले और अच्छे डायरेक्शन की बदौलत रोमांच बना रहता है। निर्देशक रवि ने कुछ दृश्य बेहतरीन गढ़े हैं। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, कुछ सीन का पिक्चराइजेशन काबिलेतारीफ है। भावनात्मक दृश्यों को भी अच्छे ढंग से फिल्माया है। अगर कहानी पर वर्क किया जाता तो यह बेहतरीन फिल्म बन सकती थी। संपादन चुस्त नहीं है, दूसरे हाफ में रफ्तार धीमी पड़ जाती है और फिल्म खिंची हुई सी लगती है। रहमान का बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है। कई दृश्यों में बैकग्राउंड स्कोर ने जान डाल दी है और थ्रिल बनाए रखा है।
बॉलीवुड फिल्मों में इमोशंस का ध्यान रखा जाता है। इस फिल्म में भी भावनाओं का दोहन करने प्रयास किया है। हालांकि इस इमोशनल थ्रिलर की स्क्रिप्ट कमजोर है, लेकिन अभिनय बेजोड़ है। ज्यादातर बॉलीवुड फिल्म मेकर्स की तरह रवि से भी यहां एक चूक हुई है। उन्होंने विषय तो अच्छा चुना है, लेकिन राइटिंग टेबल पर अपनी टीम के साथ स्क्रिप्ट पर पूरा ध्यान नहीं दिया। बहरहाल, गंभीर मुद्दे पर बनी संवेदनशील फिल्म ‘मॉम’ एक बार देखी जा सकती है।