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सीजेआई ने जस्टिस दीपक को अपना उत्तराधिकारी बनाने की अनुशंसा की

Published: Jul 26, 2017 01:30:00 pm

देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस जेएस खेहर ने जस्टिस दीपक मिश्रा को देश का अगला सीजेआई बनाने की अनुशंसा की है। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विधि मंत्री ने सीजेआई को चिट्ठी लिखी थी कि वे अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसी जस्टिस के नाम की अनुशंसा करें। 

Justice J S Khehar

Justice J S Khehar

नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस जेएस खेहर ने जस्टिस दीपक मिश्रा को देश का अगला सीजेआई बनाने की अनुशंसा की है। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विधि मंत्री ने सीजेआई को चिट्ठी लिखी थी कि वे अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसी जस्टिस के नाम की अनुशंसा करें। इसके बाद सीजेआई जस्टिस खेहर ने जस्टिस दीपक मिश्रा के नाम की अनुशंसा करते हुए विधि मंत्री को जवाब लिख दिया। जस्टिस खेहर 27 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस मिश्रा वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। वे 2 अक्टूबर 2018 को रिटायर होंगे।


युद्ध स्तर पर की जाएगी जजों की नियुक्ति 
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर ने मार्च 2017 में कहा था कि जजों की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) को कॉलेजियम ने पारित कर दिया है। अब हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का काम युद्धस्तर पर होगा। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि जजों के मौजूदा खाली पदों को भरने के बाद ही जजों की संख्या बढ़ाने पर विचार होगा। यह नहीं हो सकता कि हम रिक्तियों (400 से ज्यादा) को भर न पाएं और जजों के पद बढ़ाने की बात करें। जस्टिस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने ये टिप्पणियां करते हुए इस बारे में दायर याचिकाओं का निपटारा कर दिया।


निचली अदालतों में रिक्त हैं 4000 से ज्यादा जजों के पद 
कोर्ट ने रिक्तियों को भरने के सुझाव देने वाली याचिका को एक विशेष कमेटी को भेजा था। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों को लेकर बनाई गई थी। यह कमेटी निचली अदालतों में जजों की नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए बनाई गई थी। निचली अदालतों में 4000 से ज्यादा जजों के पद रिक्त हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि कमेटी शीघ्र ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की बैठक बुलाएगी, जिसमें लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। ये याचिकाएं पिछले वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर ने कई बार केंद्र सरकार को इस पर फटाकर लगाई थी। 

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