बाथरूम को फेंगशुई दोष से मुक्त रखने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखें, जैसे- बाथरूम के दरवाजे के ठीक सामने दर्पण न लगाएं। नहाने जाते वक्त हमारे साथ-साथ कुछ नकारात्मक ऊर्जाएं भी बाथरूम में प्रवेश कर जाती हैं। ऎसे में दरवाजे के ठीक सामने दर्पण लगा हुआ हो, तो यह ऊर्जा परावर्तित होकर पुन: लौट आती है।
ये भी पढ़ेः अपनाएं किचन की ये वास्तु टिप्स, घर बनेगा खुशहाल
इसी तरह वर्तमान में शौचालय और स्नानघर एक साथ बनाने का रिवाज चल पड़ा है जो वास्तु के हिसाब से पूरी तरह गलत है। जहां स्नानघर चन्द्रमा का कारक है, शौचालय राहू का स्थान है, दोनों को एक जगह मिलाने से घर में मानसिक चिंताएं और डिप्रेशन की बीमारियां शुरू हो जाती है। एक साथ बनाना हो तो भी कोशिश करें कि शौचालय स्नानघर में एक कोने में ही रहे न कि स्नानघर का मुख्य हिस्सा बने।
ये भी पढ़ेः वास्तु – कैसे पाएं घर में सेहत के अनुकूल दिशाएं
स्नानघर में आईना होना होना चाहिए परन्तु उसकी दिशा इस तरह हो कि नहाते समय या शौचकर्म से निवृत होने समय उसमें प्रतिबिंब न दिखें। यदि जगह की कमी के कारण ऎसा संभव नहीं हो तो शीशे को पर्दे से ढ़क कर रखें।
ये भी पढ़ेः वास्तु के हिसाब से बनाए घर का बेसमेंट
मंदिर भवन में प्रवेश करने से पूर्व हाथ-मुंह स्वच्छ करने का स्थान पूर्व में बनाना चाहिए। जबकि शौचालय का निर्माण मंदिर परिसर से बाहर किया जाए। दीपस्तंभ, हवनकुंड या अग्निकुंड को मंदिर परिसर में दक्षिण-पूर्व भाग में होना चाहिए। मंदिर में प्रवेश करने के लिए बने मुख्य द्वार की ऊंचाई मंदिर में बने अन्य द्वारों से अधिक हो।