नई दिल्ली। देश में लगभग 30 लाख बैंक यूजर्स के डेबिट कार्ड की जानकारियां चोरी होने के चलते बैंकों ने उन्हें ब्लॉक किया है। यह सेंधमारी आईसीआईसीआई, एसबीआई, एचडीएफसी, यस बैंक और ऐक्सिस बैंक के डेबिट कार्ड यूजर्स के साथ की गई है। माना जा रहा है कि यह काम चीनी हैकरों ने किया है। वहीं, एसबीआई का कहना है कि यह काम मालवेयर के जरिए व्हाइट लेवल एटीएम से किया गया है। यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि कैसे ये वायरस आया और कैसे इसने लाखें लोगों के खातों में सेंधमारी की।
क्या होता है वायरस/मालवेयर
वायरस/मालवेयर एक खतरनाक स्क्रिप्ट होती है जिसमें लोगों के डेटा चुराने वाले प्रोग्राम लिखे लिखे होते हैं। इसे किसी अटैचमैंट या रिमूवेबल ड्राइव के जरिए डिवाइसेज के सर्वर में डाला जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि हैकर्स ने एसबीआई के एटीएम नेटवर्क के सर्वर में इसे इंजेक्ट किया होगा। ऐसा इसलिए किया क्योंकि एटीएम के सॉफ्टवेयर इंटरकनेक्टेड होते हैं। अगर मालवेयर को एक बार सर्वर में डाल दिया तो इसे रन कराने के लिए कई बार रिमोट एक्सेस की जरूरत होती है, लेकिन कई बार यह खुद से भी एक्टिवेट हो जाते हैं। मालवेयर एक्टिवेट होने के बाद सिस्टम से महत्वपूर्ण डेटा हैकर्स के पास पहुंचने लग जाते हैं। अगर हैकर्स ने ऐसा किया है तो समझ लें कि उनके पास आपके एटीएम पिन नंबर समेत अन्य जानकारियां जैसे कार्ड नंबर आदि भी उनके पास पहुंच चुके हैं।
सर्वर में ऐसे होती है सेंधमारी
टेक्निकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब आप अपना कार्ड एटीएम मशीन में एक बार डालते हैं तो सर्वर में मौजूद मालवेयर वायरस कार्ड की क्लोनिंग कर लेता है और कार्ड की पीछे लगी मैग्नेटिक चिप में ये वायरस भेज देता है। इस तरह से यूजर के कार्ड की सारी जानकारियां चोरी हो जाती हैं। इसके बाद उसी एटीएम से कोई भी हैकर्स क्लोनिंग वाले एटीएम के जरिए मालवेयर वायरस की मदद से जानकारी का इस्तेमाल कर खोते से पैसे निकाल लेता है। आमतौर पर हैकर्स ओपन नेटवर्क के जरिए ही सेंधमारी करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसके लिए उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। मालवेयर की मदद से हैकर्स के पास इन एटीएम नेटवर्क में इस्तेमाल किए गए कार्ड्स की जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
हैकर्स रखते हें हर काट
हालांकि कार्ड की जानकारी मिलने के बाद भी किसी कार्ड से पैसे उड़ाना हैकर्स के लिए आसान नहीं होता है। क्योंकि उनको पेमेंट गेटवे में इसके लिए ओटीपी या 3डी सिक्योर कोड की जरूरत पड़ती है। लेकिन हैकर्स के पास इसकी काट भी रहती है। इसके लिए हैकर्स कार्ड की क्लोनिंग करते हैं, फिर चुराए गए डेटा को अप्लाई करते हैं। ऐसे में कार्ड से पैसे उड़ाना काफी आसान हो जाता है। ऐसा अधिकतर कार्ड्स के साथ होता है।
एटीएम कार्ड हैकिंग से ऐसे बचें
– जिस एटीएम में अंधेरा हो उसे यूज न करें।
– कैश निकाल कर वहीं न गिने रीसिप्ट के साथ जेब में रखकर वहां से जल्दी निकलें।
– रीसिप्ट को वहां न छोड़ें उसे साथ ले जाएं।
– सुनसान इलाके वाले एटीएम न यूज करें।
– एटीएम में किसी तरह का डैमेज दिखे तो यूज न करें।
– पिन लिखते समय कीबोर्ड को ढक लें।
– अपना पिन किसी को न बताएं।