बैंकों के कर्ज के बोझ में दबे हुए लाखों लोग के लिए अच्छी खबर है। सरकार एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है।
नई दिल्ली. बैंकों के कर्ज के बोझ में दबे हुए लाखों लोग के लिए अच्छी खबर है। सरकार एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है जिसके तहत बैंकों का कर्ज चुकाने में असमर्थ लोगों को आसान किश्तों में लोन चुकाने से लेकर समय सीमा की मोहलत दी जाएगी। यानी, अगर आपने किसी बैंक से लोन लिया है और आपकी नौकरी चली गई है तो वैसे स्थिति में बैंक आपसे लोन चुकाने का दबाव नहीं बना पाएगा। नए कानून के तहत आपको आसान किश्तों में लोन चुकाने का मौका दिया जाएगा।
किनको सबसे बड़ा फायदा?
नए कानून का मकसद नौकरी पेशा वाले लाखों लोगों की मदद करना है। इस वर्ग के लिए नौकरी चले जाने पर बैंकों का लोन चुकाना काफी मुश्किल होता है क्योंकि सैलरी नहीं मिलने से होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन आदि ईएमआई नहीं दे पाते हैं। इसके साथ ही छोटे कारोबारियों, वेंडर को भी इस के तहत सहुलियत देने की तैयारी है।
सिंगापुर के तर्ज पर होगी व्यवस्था
इस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक नया कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसमें वर्किंग ग्रुप कई पहलुओं पर विचार कर रहा है जिनमें सिंगापुर जैसा काउंसलिंग को अनिवार्य बनाया जाना शामिल है। साथ ही कानूनी तंत्र तक पहुंच और आसान बनाने की तैयारी है। नए कानून से वैसे लोगों को मदद मुहैया कराए जाएगा जो पहले से ही संकट में हैं।
100 साल पुराना है कानून
अभी जो व्यक्तिगत दिवालियापन कानून चलन में है वह 100 साल पुराना है लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल पिछले कुछ दशकों से ही हो रहा है। इस कानून के तहत ज्यादातर मामले जिला जजों के तहत आते हैं। हालांकि, बैंक अभी बकाया वसूलने के मकसद से बने सिक्यॉरिटाइजेशन ऐंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनैंशल ऐसेट्स ऐंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यॉरिटी इंट्रेस्ट ऐक्ट (सरफेसी) के तहत डेट रिकवरी ट्राइब्युनल्स का रुख करते हैं।
अभी कार्रवाई सिर्फ कॉर्पोरेट सेक्टर पर
पिछले साल संसद में पारित इन्सोलवेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में लोगों को दिवालिया घोषित किए जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, अभी जो कार्रवाई हो रही है वह कॉर्पोरेट सेक्टर और स्टार्टअप तक ही सीमित है। कंपनी मामलों के मंत्रालय और इन्सोलवेंसी ऐंड बंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया ने इंडिविजुअल और पार्टनरशिप फर्मों की मदद के लिए नियम बनाने पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।