नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधार के कदमों के बाद मोदी सरकार कैलेंडर ईयर को फाइनेंशियल ईयर बनाने की बड़ी तैयारी कर रही है।
नई दिल्ली. नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधार के कदमों के बाद मोदी सरकार कैलेंडर ईयर को फाइनेंशियल ईयर बनाने की बड़ी तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इसके प्रयास शुरू कर दिए हैं और जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है। आइए जानते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो इसका आपके लाइफ पर क्या असर होगा?
गड़बड़ाएगी आपकी टैक्स प्लानिंग
कैलेंडर ईयर को फाइनेंशियल बनाने का पहला असर आप पर टैक्स फाइलिंग की तारीख में होगा। आपको अपनी टैक्स प्लानिंग पहले से शुरू करनी होगी, अगर आप 31 दिसंबर से पहले निवेश नहीं करते हैं तो आप टैक्स छूट का लाभ नहीं ले पाएंगे। साथ ही आपका एम्पलॉयर इनवेस्टमेंट प्रूफ न देने पर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स काटेगी।
शेयर बाजार पर असर
वर्तमान में दिसंबर में विदेशी निवेशक अपने वित्त वर्ष के खत्म होने के चलते दुनियाभर के बाजारों से बिकवाली करते हैं। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी होता है। यदि भारत का भी वित्त वर्ष 31 दिसंबर को खत्म होगा तो भारतीय बाजार का चलन भी बाकी विदेशी शेयर बाजार की तरह ही होगा।
कंपनियों के नतीजों पर असर
अभी कंपनियों के तिमाही नतीजों के लिए पहली तिमाही 1 अप्रैल से 30 जून, दूसरी तिमाही 1 जुलाई से 30 सितंबर, तीसरी तिमाही 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर और चौथी तिमाही 1 जनवरी से 31 मार्च तक होती है। वित्त वर्ष बदलने के बाद तिमाही उसी के मुताबिक चलेंगी।
बैंकिंग सिस्टम में होगा ये बदलाव
बैंकिंग की क्लोजिंग हर साल 31 मार्च तक होती है उसकी तारीख भी बदलकर 31 दिसंबर हो सकती है। बैंकों को अकाउंटिंग स्टैंडर्ड में बदलाव करना होगा
बदल जाएगी बजट की तारीख
सरकार ने फरवरी की आखिरी तारीख से बदलकर फरवरी की पहली तारीख को बजट का दिन मुकर्रर किया है लेकिन वित्त वर्ष की तारीख बदलती है तो एक बार फिर बजट की तारीख में बदलाव हो सकता है।
बदलाव से ये होंगे फायदे
केंद्र और राज्य सरकार की खर्च और आमदनी का सही अनुमान लगाना आसान हो जाएगा। इसके साथ ही टैक्स व्यवस्था और प्रक्रिया सांख्यिकी और आंकड़ों का संग्रहण बजट से जुड़े विधायी कार्य को पूरा करने के लिए कार्यपालिका की सहूलियत होगी।