छत्तीसगढ़ के एक गांव रायखंड़ा में, थर्मल कोल पावर प्लांट्स ने गांव में नौकरी और आर्थिक वृद्धि का सपना तो दिखाया। लेकिन कर्ज में डूबा हुआ यह परियोजना बिजली आपूर्ति का वादा करने के बाद अब बेकार हो गया।
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के एक गांव रायखंड़ा में, थर्मल कोल पावर प्लांट्स ने गांव में नौकरी और आर्थिक वृद्धि का सपना तो दिखाया। लेकिन कर्ज में डूबा हुआ यह परियोजना बिजली आपूर्ति का वादा करने के बाद अब बेकार हो गया। यह प्लांट बिजली उत्पादन के लिए कोयला खरीदने में अब असमर्थ है। इस प्राजेक्ट पर निर्भर रहने वाले दर्जनों स्टोर अब बंद हो चुके है।भारत में 50 से ज्यादा कोयला और गैस पावर प्लांट काफी हद तक खराब है या फिर न्यूनतम खर्चे पर चल रहें है। अरबों डॉलर में डूबा सेक्टर संघर्ष कर रहा है। आने वाले महीनों में यह बैंकिग सेक्टर के लिए भी जाखिम हो सकता है जिसका बोझ आखिरकार टैक्स पेयर पर ही पड़ेगा।
नौकरी के बदले जमीन तक बेच दिए थे किसान
दिल्ली एयरपोर्ट को अॅापरेट करने वाली जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर ने छत्तीसगढ़ में 80 अरब रूपए के कर्ज से रायखेड़ा प्लांट को भी बनाया था। हालांकि इस वर्ष की शुरूआत में उसने रायखेड़ा प्लांट के लिए कर्ज पुर्नगठन का ऐलान भी किया था। जीएमआर ने 2014 में 1.4 गीगावॅाट बिजली रायखेड़ा स्टेशन के पहले चरण और 2016 में दूसरे चरण में कमीशन किया। लेकिन ये पावर प्लांट को चालू रखने के लिए बस कुछ मौको पर ही प्रयोग किए जाते है। कंस्ट्रशन के दौरान यहां पर हजारों लोगों को नौकरी मिली और पास के क्षेत्रों में आर्थिक सुधार भी हुआ था। कई किसान इस प्लांट पर नौकरी के बदले अपने जमीन तक को भी बेच दिए थे।
कर्ज के मामले में दूसरे स्थान पर है पावर प्लांट्स
भारत में स्टील के बाद पावर फम्र्स 150 अरब कर्ज के साथ दूसरे स्थान पर हैं। पिछले महीने ही केंद्रीय बैंक ने उन सभी कॉमर्शियल बैंक को बीते छह महीने की सारीएनपीए समस्याओं को हल करने का आदेश दिया था। ये वो बैंक है जो भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में मुख्य फाइनेंसर है। मुंबई में एसबीआई में स्ट्रक्चर फाइनेंस के ग्रुप हेड, सुप्रतिम सरकार ने कहा कि यह कर्ज कहीं नहीं जा रहा और सरकार को बैंकिग सेक्टर का ख्याल रखना होगा।
मांग पूरा करने के लिए बिजली आपूर्ति क्षमता सिर्फ कागज पर ही दिखाई देता है
भारत में मौजूदा समय में फसे हुए पावर प्राजेक्ट लगभग 50 गीगावाट बिजली की क्षमता रखते है। जो कि कुल क्षमता का केवल 15 फीसदी है। यह तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में संभवित रूप से महत्वपूर्ण उत्पादन है जहां मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त बिजली आपूर्ति क्षमता सिर्फ कागज पर ही दिखाई देती हैं। इनम से कुछ फंसे हुए पावर प्रोजेक्ट एस्सार पावर, जीवीके पावर, और रिलायंस पावर के है। ये कंपनियां बीते दशक में बड़ी तेजी से अपने पावर प्राजेक्ट को सेट-अप तो की थी लेकिन अब भारी निवेश के बाद भी इनकम जेनरेट नहीं कर पा रहीं हैं। जिससे यह कर्ज के बोझ में दब गई हैं।