नई दिल्ली. देश की सबसे खतरनाक मानी जाने वाले मॉर्कोज (मरीन कमांडो) घाटी में आतंकियों पर कहर बरपा रहे हैं। दरअसल, सेना ने इन दिनों कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ सघन अभियान छेड़ रखा है। अब झेलम नदी में बने टापुओं और आसपास जंगलों से इन आतंकियों के सफाए के लिए नौसेना के मॉर्कोज कमांडो की भी मदद ले रही है। नौसेना ने यहां आतंकियों के खात्मे के लिए एक लेफ्टिनेंट कमांडर के नेतृत्व में 30 मॉर्कोज कमांडो को वूलर झील में स्थाई तौर पर तैनात किया है।
सेना का ‘ढूंढ़ो और खत्म करो’ अभियान
सेना से बचने के लिए झेलम नदी में जा छिपे आतंकियों के खिलाफ चलाए गए अपने हालिया ‘ढूंढ़ो और खत्म करो'(सर्च एंड डेस्ट्रॉय) अभियान के दौरान सेना ने विशेष मरीन कमांडो दस्ते मॉर्कोज की मदद ली थी।
मॉर्कोज टीम कश्मीर में तैनात राष्ट्रीय रायफल्स के तहत काम कर रही है और इन्हें वूलर झील के पास वतलाब इलाके में तैनात किया गया है। इनको पानी के अंदर अभियान चलाने में महारत होती है।
सेना के सूत्रों ने बताया कि झेलम में बने टापुओं में घने जंगल होते हंै, जहां आतंकी खुद को और अपने हथियार छुपा लेते हैं। ऐसे में ये मॉर्कोज पानी में तैर कर वहां पहुंचते है और फिर उनको खत्म कर देते हैं।
कब हुआ इस्तेमाल
26/11 मुंबई हमलों के वक्त मॉर्कोज को काली वर्दी, मुंह पर काला कपड़ा और आंखों पर चश्मा पहने पूरे देश ने टीवी पर देखा था। इससे पहले 1987 में लिट्टे के खिलाफ ऑपरेशन पवन और 1988 में मालदीव में ऑपरेशन कैक्टस को भी अंजाम दे चुके हैं।
मॉर्कोज की विशेषता
भारी वजन के साथ पानी में कूदने में सक्षम हैं।
हर मौसम व सभी प्रकार के इलाकों में अडिग।
ड्यूटी पर विफलता का कोई बहाना नहीं।
समुद्र, पहाड़, रेगिस्तान व गोरिल्ला युद्ध में महारत।
दुनिया के बेहतरीन हथियारों से लेस।
त्राल में मारे 3 आतंकी बीते हफ्ते इन्हीं कमांडो की मदद से जैश ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को मार गिराया था, जो ऊंचाई वाले क्षेत्र सतूरा में छिपे थे।