देश में नए स्टार्टअप खोलने का क्रेज तेजी से कम हो रहा है। ऐसा वेंचर कैपिटल (वीसी) का स्टार्टअप्स में निवेश रोकने के चलते हुआ है।
नई दिल्ली। देश में नए स्टार्टअप खोलने का क्रेज तेजी से कम हो रहा है। ऐसा वेंचर कैपिटल (वीसी) का स्टार्टअप्स में निवेश रोकने के चलते हुआ है। बेंगलूरु की एक स्टार्टअप रिसर्च प्लेटफार्म टै्रक्ससन के अनुसार वर्ष 2015 में 9800 टेक-बेस्ड स्टार्टअप का खुले, वहीं वर्ष 2016 में यह संख्या गिरकर 4630 हो गई। चेन्नई की एक और फंडिंग रिसर्च फर्म वेंचर इंटेलिजेंस के मुताबिक फंडिग डील्स की भी संख्या वर्ष 2015 में 536 से घटकर वर्ष 2016 तक 460 पर पहुंच गई। निवेश्कों ने भारतीय स्टार्ट-अप में वर्ष 2015 में 2.05 अरब डॉलर लगाया जो कि यह वर्ष 2016 में गिरकर 1.5 अरब डॉलर हो गया।
आगे बेहतर प्रदशन का दबाव बढ़ेगा
टै्रक्ससन के अनुसार अभी तक वर्ष 2017 में सिर्फ 294 स्टार्टअप्स ही खुले हैं। इसके चलते 70 करोड़ मूल्य के केवल 181 फंडिंग डील्स ही साइन हुए है। हालांकि कुछ एक्सपट्र्स का कहना है कि, स्टार्टअप्स की सिकुड़ती हुई संख्या बेहतर इकोसिस्टम के तरफ ही इशारा करती है। निवेशकों ने इसलिए दांव लगाया है क्योंकि वे सकारात्मक रिटर्न को देख चुके है। इसके बदले कारोबारीयों पर खुद बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ेगा। लगभग दो साल पहले, स्टार्टअप कारोबारीयों का एक हूजूम दिखाई देता था, जो अब गायब है। लोगों को अब समझ में आने लगा है कि बाजार में पैसा इतनी आसानी से उपलब्ध नहीं है। इसिलिए अब वे बेहतर प्रस्तावों के साथ आने लगे हैं। इससे 2017 के बाकी के बचे समय में गुणवत्ता और बेहतर होने की उम्मीद है
कूूलनेस फैक्टर के बजाय बाजारों की वास्तविकता पर फोकस
चेन्नई स्थित एक इनक्यूबेटर द स्टार्ट-अप के फाउंडर विजय आनंद का कहना है कि, अभी भारत में बहुत सारे स्टार्टअप के बंद होने के साथ गर्मजोशी थोड़ी कम हुई है। लकिन यह वही समय है जब बड़े कारोबारी उभरते है। इसलिए मात्रा कम हो जाने पर भी बेहतर गुणवत्ता वाले स्टार्ट-अप्स में एक अलग उत्साह है। अब कारोबारी स्टार्टअप में केवल कूलनेस फैक्टर को नही देख रहे बल्कि भारतीय बाजारों की वास्तविकता को भी ध्यान में रख रहें है और यह एक बहुत अच्छी बात हैं।