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सस्‍ते घरों की बढ़ेगी मांग, कमर्शियल प्रॉपर्टी में बनी रहेगी तेजी

साल 2017 में 25 से 50 लाख तक के सस्‍ते घरों की मांग सबसे ज्‍यादा रहेगी। यह ट्रेंड मेट्रो सिटीज से लेकर छोटे शहरों में देखने को मिलेगा।

Dec 26, 2016 / 07:05 pm

आलोक कुमार

Affordable housing

Affordable housing

नई दिल्‍ली. साल 2016 इतिहास के पन्‍नों में दर्ज होने की तैयारी में है और नया साल दस्‍तक देने वाला है। यह साल बीते एक दशक में रियल एस्‍टेट सेक्‍टर के लिए कई बड़े बदलावों के वर्ष के तौर पर याद किया जाएगा। इस साल में रियल्‍टी बिल, नोटबंदी, जीएसटी आदि जैसे कई बड़े कदम उठाए गए हैं, नए साल से इनका असर दिखाई देना शुरू होगा। प्रॉपर्टी के जानकारों का मानना है कि इन फैसलों से सेक्‍टर में पारदर्शिता बढ़ेगी और घर खरीदारों का विश्‍वास फिर से बहाल होगा। इन तमाम कारणों के चलते तेजी आएगी।

सस्‍ते घरों का रहेगा बोलबाला

मोदी सरकार भी सस्‍ते घरों की कमी को पूरा करने के लिए कई पहल कर रही है। इसमें टैक्‍स छूट और सस्‍ते होम लोन की पेशकश भी शामिल है। अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी के अनुसार, सस्‍ते घरों की मांग को देखते हुए इस सेग्मेंट में रियल्‍टी डेवलपर्स भी फोकस करेंगे। साल 2017 में 25 से 50 लाख तक के सस्‍ते घरों की मांग सबसे ज्‍यादा रहेगी। यह ट्रेंड मेट्रो सिटीज से लेकर छोटे शहरों में देखने को मिलेगा। प्राइवेट इक्विटी प्‍लेयर्स भी सस्‍ते प्रोजेक्‍ट्स में पैसा लगाएंगे। इससे डेवलपर्स के लिए फंड जुटाना और प्रोजेक्‍ट पूरा करना आसान होगा।

कमर्शियल रियल एस्‍टेट की चांदी

रिसर्च फर्म जेएलएल इंडिया के कंट्री हेड और चेयरमैन अनुज पुरी के मुताबिक, साल 2016 में एफएमसीजी, ई-कॉमर्स, लॉजिस्‍टिक, मैन्‍युफैक्‍चरिंग आदि के चलते कमर्शियल स्‍पेस की लीजिंग अच्‍छी रही। यही ट्रेंड 2017 में भी जारी रहेगा। 2017 में करीब 380 से 400 लाख वर्ग फीट कमर्शियल स्‍पेस और लीजिंग के लिए उपलब्‍ध होगा। टियर टू और थ्री शहरों में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बेहतर होने से वहां भी डिमांड बढ़ेगी। रिट्स (रियल्टी इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट), डेवलपर्स और प्राइवेट इक्विटी फर्म कमर्शियल स्‍पेस में अवसर को देखते हुए निवेश करेंगे। कंपनियां भी अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए नए स्‍पेस की लीजिंग करेगी। इससे इस साल भी कमर्शियल स्‍पेस की मांग बनी रहेगी। 
 
रिटेल के आएंगे अच्छे दिन 

प्रॉपर्टी एक्‍सपर्ट प्रदीप मिश्रा ने पत्रिका को बताया कि 2011 के बाद साल 2017 में सबसे अधिक मॉल स्‍पेस ऑपरेशनल होंगे। ऐसा इसलिए होगा कि पिछले तीन साल में मंदी के दौरान कुछ ही मॉल का काम पूरा हो पाया। वहीं, 2016 में अप्रैल, फूड और बेवरेजेस, इंटरटेनमेंट और सिनेमा ने काफी अच्छा बिजनेस किया है। जीएसटी लागू होने से कंपनियों के लिए काम करना और आसान हो जाएगा। ऐसे में वे अपने बिजनेस को विस्‍तार देंगे जिससे रिटेल स्‍पेस की मांग बढ़ेगी।

वेयरहाउस की बढ़ेगी मांग

ई-कॉमर्स जानकारों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद लॉजिस्‍टिक में बड़ा बदलाव आएगा। इससे कंपनियां अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए वेयरहाउस को लीज पर लेंगी। इससे साल 2017 में वेयरहाउस की मांग तेजी से बढ़ेगी। सरकार की डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं रियल्‍टी के इस सेग्मेंट को मदद करेंगी।

होटल और हॉस्पि‍लेटी सेक्‍टर

2016 होटल इंडस्‍ट्री के लिए काफी अच्‍छा रहा है। रेवेन्यू में करीब 5 फीसदी इजाफा देखने को मिला है। इससे नए साल में रियल्टी प्लेयर्स और अच्‍छी रेवेन्‍यू ग्रोथ की उम्‍मीद जता रहे हैं।

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