नई दिल्ली। निसान की सुपर लग्जरी कार जीटी-आर भारत में लॉन्च हो चुकी है। इस कार की कीमत लगभग दो करोड़ रूपए है। जीटी आर को टेक्नोलॉजी और परफॉर्मेंस के मामले में जबरदस्त माना जाता है। यह एक बेहद फुर्तीली, बेजोड़ है और शानदार कंफर्ट वाली बेहतरीन कार है। इसी वजह से इसे एक लेजेंड और दुनिया की बेस्ट माना जाता है। यहां हम आपको बता रहे हैं जीटी आर के बारे में कुछ ऐसी बातें जो आपने कभी नहीं सुनी होगी और इन्हीं की वजह से इसे गॉडजिला कहा जाता है।
लगभग 50 साल पुराना है जीटी-आर ब्रांड
जीटी-आर ब्रांड का यूज सबसे 1947 में पहली बार निसान की स्काईलाइन कार में हुआ था जिसमें 2.0 लीटर का इंजन लगा हुआ था, इसकी ताकत 160 पीएस थी। इसको जापान में हाकोसूका भी कहा जाता था।
जीटी आर को ऐसे मिला गॉडजिला नाम
जीटी-आर कार को जापान में ओबाकेमोनो भी कहा जाता है। इसका मतलब रूप बदलने वाला दानव (मॉन्स्टर) होता है। इसके बाद ऑस्ट्रेलियन मोटरिंग मैग्जीन व्हील्स ने इसे गॉडजिला (एक तरह का डायनासोर) बताया जो फोर्ड की सिएरा को पछाड़ने की क्षमता रखती थी। तभी से जीटी आर का दूसरा मशहूर नाम गॉडजिला पड़ गया।
सिल्वर स्क्रीन की वजह से मिले फैंस
निसान जीटी-आर को दुनिया में इतने सारे फैंस दिलाने का श्रेय सिल्वर स्क्रीन यानी रुपहले पर्दे को भी जाता है। इस कार को फिल्मों, एनिमेशन सीरीज और गेमिंग में इस्तेमाल किया गया है।
आपको बता दें कि हॉलीवुड फिल्म सीरीज फास्ट एंड फ्यूरियस में भी निसान जीटी-आर का यूज हो चुका है।
सिर्फ जापान में ही बनती है जीटी-आर
निसान की जीटी-आर आज भी 100 फीसदी जापानी कार है, इसे सिर्फ जापान में ही बनाया जाता है। जीटी-आर को कभी जापान के योकोहामा स्थित निसान की मुख्य फैक्ट्री के बाहर इस न ही तो बनाया गया है और न ही एसेंबल किया गया है।
हाथ से की जाती है एसेंबल
निसान जीटी-आर कार की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसकी पांच खास इंजीनियर ही इन्हें तैयार करते हैं, इनको ताकूमी कहा जाता हैं। इनमें से 1 इंजीनियर, 3.8 लीटर के वी-8 इंजन को एकदम सील पैक कमरे में हाथ से एसेंबल करता है। यह एक बड़ी वजह है कि प्रत्येक जीटी-आर कार की पावर एक जैसी नहीं होती।