इन दिनों देशभर में शादियों का दौर चल रहा है। ऐसे में कई युवा अपने जीवन की नई पारी शुरू करने जा रहे हैं। शादी जिंदगी में खुशियों के साथ जिम्मेदारियां भी लेकर आती है।
नई दिल्ली। इन दिनों देशभर में शादियों का दौर चल रहा है। ऐसे में कई युवा अपने जीवन की नई पारी शुरू करने जा रहे हैं। शादी जिंदगी में खुशियों के साथ जिम्मेदारियां भी लेकर आती है। जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाने और जीवन को खुशनुमा बनाने के लिए जरूरी है कि जल्दी से जल्दी जीवन के वित्तीय लक्ष्य को तय कर लें। अपने पार्टनर के साथ बैठकर दोनों की इनकम और उद्देश्यों को तय करें उसके बाद बच्चों की शिक्षा, लाइफ इंश्योरेंस, मेडिकल इंश्योरेंस, रिटायरमेंट प्लानिंग, टूरिज्म प्लानिंग जैसे बड़े खर्च की प्लानिंग बेहद जरूरी है।
फैमिली और फाइनेंस मैनेजमेंट साथ-साथ
शादी के बाद सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है परिवार का प्रबंधन। अमूमन ज्यादातर दंपती परिवार के प्रबंधन करने में अपना बहुत सारा कीमती वक्त निकाल देते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि परिवार और पैसे का प्रबंधन साथ-साथ हो क्योंकि दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। शादी के बाद आप यदि पति-पत्नी में से एक ही कमाऊ है तो वित्तीय बोझ बढ़ जाता है, बच्चे के आने पर तो यह और ज्यादा हो जाता है। ऐसे में समय से इसके लिए तैयार होना ही सही विकल्प है।
पति-पत्नी मिलकर बनाएं प्लान
शादी के बाद अकेले प्लानिंग करने से अच्छा है पार्टनर के साथ मिलकर प्लानिंग करें। इससे आप विभिन्न जरूरतों को और गहराई से समझ पाएंगे। साथ ही दोनों को पैसे की सही कीमत भी समझ में आएगी। इससे आपको अपने इनकम और खर्च का आकलन करने में सहूलियत होगी। ऐसा कर शादीशुदा लोग अपने वित्तीय लक्ष्यों जैस कार, घर, बच्चों की शिक्षा आदि के लिए सही निवेश प्रोडक्ट का चुनाव कर सकते हैं।
फिजूलखर्ची से बचें
अक्सर नवविवाहित लोगों को फिजूलखर्ची का शौक ज्यादा होता है। जरूरत नहीं होने पर भी नया स्मार्टफोन, इटिंग आउट, पार्टी, पुरानी कार को बेचकर नई कार आदि खरीदना आदि पर ज्यादा खर्च किया जाता है। इस चक्कर में कई ऐसी चीजें खरीद ली जाती हैं जिनकी कोई जरूरत नहीं होती और उसके लिए कर्ज भी लेना पड़ सकता है। क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग पर जितना हो सके नियंत्रण रखें। ईएमआई में बहुत ज्यादा पैसा नहीं उलझना चाहिए। सेविंग को पूरी तरजीह दें।
इमरजेंसी फंड
शादी होने के बाद 3 से 6 महीनों का पैसा इमरजेंसी फंड में रखना जरूरी है। इस फंड में ईएमआई, महीने का खर्च और दूसरे तरह के खर्चों का आकलन कर जमा करें। इसके लिए एक ज्वाइंट अकाउंट खोलना भी अच्छा विकल्प है। इसका एक्सेस दोनों के पास होता है और इमरजेंसी की स्थिति में आसानी से दोनों पैसा निकाल सकते हैं। दोनों कमाते हैं तो ज्वाइंट लोन लेना भी फायदेमंद है। इसमें कई तरह के टैक्स बेनिफिट मिलते हैं, साथ ही दोनों को प्रीमियम की जिम्मेदारी भी समझ में आती है।
पूरी करें डॉक्यूमेंट्स की जरूरतें
शादी के बाद सभी कानूनी दस्तावेजों जैसे बैंक खाता, पैन कार्ड, पासपोर्ट आदि शामिल में पत्नी का नाम जुड़वा दें। इससे लोन की प्रोसेस में मदद मिलती है।