यह मीटिंग इस लिहाज से भी काफी अहम है क्योंकि जब तक ‘मिसिंग नोटों’ का पता नहीं चलता, तब तक आरबीआई 30 जून 2017 को खत्म वित्त वर्ष की बैलेंस शीट तैयार नहीं कर सकता।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को आगामी 15 दिनों के भीतर नोटबंदी से जुड़े सबसे बड़े सवाल का सामना करना पड़ेगा। इस दौरान उसको बताया होगा कि कितनी रकम के नोट उसके पास वापस नहीं आए हैं। चूंकि अब तक सरकार और आरबीआई दोनों ने इस सवाल को चुप्पी साध रखी है। इस महीने ऑडिटर्स के साथ होने वाली आरबीआई की बैठक में यह मामला साफ हो जाएगा।
आरबीआई को बनानी होगी बैलेंस शीट
एक सूत्रों के अनुसार यह मीटिंग इस लिहाज से भी काफी अहम है क्योंकि जब तक ‘मिसिंग नोटों’ का पता नहीं चलता, तब तक आरबीआई 30 जून 2017 को खत्म वित्त वर्ष की बैलेंस शीट तैयार नहीं कर सकता। आरबीआई की अकाउंटिंग पॉलिसी के मुताबिक, जो नोट सकुर्लेशन में हैं, उन्हें लायबिलिटी माना जाता है। वहीं, बॉन्ड और विदेशी मुद्रा को आरबीआई की बैलेंस शीट में असेट्स माना जाता है। जबकि बैलेंस शीट तैयार करने के लिए रिजर्व बैंक को यह लिखना होगा कि कितनी रकम के पुराने नोट बैंकों के जरिये वापस नहीं किए गए।
बड़ी मात्रा में वापस नहीं आए नोट
दरअसल, 8 नवंबर 2016 की आधी रात से सरकार ने 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के चलन पर रोक लगा दी थी। जिसके चलते 17.5 लाख करोड़ के नोट अमान्य हो गए थे। जबकि उस समय भारतीय अर्थ व्यवस्था में इन नोटों का 85 प्रतिशत था। नोटबंदी के दौरान यह अनुमान लगाया गया था कि अमान्य घोषित किए गए बहुत ज्यादा नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आए हैं। जबकि विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि इससे काले धन में कमी नहीं आई है क्योंकि ज्यादातर अमान्य घोषित किए गए नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए। मनी मार्केट की अटकलों के मुताबिक, यह रकम 25,000 करोड़ रुपये है।