शरीफ के मंत्रिमंडल में सूचना मंत्रालय संभाल रहीं मरियम औरंगजेब ने कहा कि नवाज को कुर्सी की आवश्यकता नहीं है, वह एक वास्तविकता हैं। वह दिन दूर नहीं, जब वह चौथी बार प्रधानमंत्री चुने जाएंगे।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद के लिए अयोग्य करार दिए जाने के निर्णय पर सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के सदस्यों ने निराशा जताई है। लेकिन, उनका कहना है कि शरीफ के दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं। दूसरी ओर, न्यायालय के इस निर्णय को लेकर विपक्षी पार्टियों में जश्न का माहौल है। सर्वोच्च न्यायालय के बाहर मीडिया से बातचीत में पंजाब के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि पीएमएल-एन के लिए यह कठिन समय है, लेकिन पार्टी के निर्णय लेने संबंधी अधिकार नवाज शरीफ के पास बने रहेंगे।
नवाज को कुर्सी की आवश्यकता नहीं, वह एक वास्तविकता हैं- मरियम
शरीफ के मंत्रिमंडल में सूचना मंत्रालय संभाल रहीं मरियम औरंगजेब ने कहा कि नवाज को कुर्सी की आवश्यकता नहीं है, वह एक वास्तविकता हैं। वह दिन दूर नहीं, जब वह चौथी बार प्रधानमंत्री चुने जाएंगे। मरियम ने कहा कि कुछ निर्णय अदालत में होते हैं और कुछ जनता की अदालतों में। हम एक निर्णय हार सकते हैं,जिस पर मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है, लेकिन दुखी हूं।
पीएमएल-एन पाकिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी
मरियम ने कहा कि पीएमएल-एन पाकिस्तान की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। इसके सबसे ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और इतिहास गवाह रहा है कि जब कभी नवाज शरीफ अन्यायपूर्वक हटाए गए हैं, पाकिस्तान के लोग उन्हें एक बड़े बहुमत के साथ संसद में वापस लाए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी न्यायालय के निर्णय को विस्तार से देखने के बाद अपनी अगली योजना की घोषणा करेगी।
इस केस में जो कुछ हुआ वह सामान्य नहीं- असमां जहांगीर
वरिष्ठ वकील असमा जहांगीर ने स्थानीय समाचार पत्र से कहा कि न्यायालय के निर्णय को स्वीकार किया जाना चाहिए लेकिन इसकी आलोचना के आधार भी हैं। जहांगीर ने कहा कि मेरे हिसाब से जिया उल हक (पूर्व राष्ट्रपति) और इफ्तिखार चौधरी (सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) वापस लौट आए हैं। यह अन्य लोगों और न्यायालय के लिए कठिन बनेगा।
संसद सोचेगी कि सर्वोच्च न्यायालय ने हमेशा हमारे खिलाफ निर्णय लिए हैं और संविधान के अनुच्छेद 184(3) में निहित अधिकार उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां से किसी को भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है। संसद इसमें संशोधन के लिए देखेगी। उन्होंने कहा कि यह अनोखा फैसला है। इसकी प्रक्रिया अनोखी रही है। अदालतों में कार्यवाही का निश्चित रूप होता है लेकिन इस मामले में जो कुछ हुआ, वह सामान्य नहीं है।