सार्क देशों के बीच व्यापार और आपसी सहयोग को लेकर पाक के उदासीन रवैये को देखते हुए भारत एक अलग संगठन बनाने पर विचार कर रहा है।
नई दिल्ली. साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ रिजनल कॉआपरेशन (सार्क) के सदस्य व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान का असहयोगी रवैया इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा है। पाकिस्तान के इस रवैये से सार्क के कई फैसलों पर असर पड़ा है। यही वजह है कि भारत पाकिस्तान को अलग कर अबएक नया संगठन बनाने की तैयारी कर रहा है।
अधिकांश सदस्य सहयोग के लिए राजी
विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान को अलग रखते हुए एक अलग संगठन बनाने का प्लान रखते हुए पाक के निराशाजनक रवैये पर जमकर निशाना साधा। जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि क्षेत्रीय सहयोग के कुछ मूलभूत मानकों का पालन किया जाना चाहिए। अधिकांश सदस्य देश चाहते हैं कि क्षेत्रीय पहल को आगे बढ़ाया जाए। चीन को भी इस मामले में लपेटते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत की चिंताओं में आर्थिक गलियारे का मुद्दा भी शामिल है। चीन और पाकिस्तान मिलकर पाक अधिकृत कश्मीर में आर्थिक गलियारे का निर्माण कर रहे हैं।
गैर सदस्य देश का हस्तक्षेप मंजूर नहीं
उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंक और सार्क का हित दोनों साथ-साथ नहीं चल सकता। अगर आप कहते हैं कि मैं क्षेत्रीय सदस्य बना रहूूंगा लेकिन क्षेत्रीय कारोबार की इजाजत नहीं दूंगा, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की मंजूरी नहीं दूंगा, क्षेत्रीय जल परिवहन और क्षेत्रीय रेलवे की अनुमति नहीं दूंगा तो आपका मतलब साफ है कि आप सहयोग नहीं करना चाहते। सार्क के विकास को आप रोकना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने साफ कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच के मसलों को हल करने के लिए किसी तीसरे देश के आने की जरूरत नहीं है।