पनामा पेपर लीक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद शुक्रवार को नवाज शरीफ ने इस्तीफा दे दिया। पनामा मामले की जांच कर रही 6 सदस्यीय जेआईटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी।
नई दिल्ली। पनामा पेपर लीक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद शुक्रवार को नवाज शरीफ ने इस्तीफा दे दिया। पनामा मामले की जांच कर रही 6 सदस्यीय जेआईटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 में पीएम के तौर पर अपने दूसरे टेन्योर में शरीफ की फैमिली ने लंदन में प्रॉपर्टीज खरीदी थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीफ और उनके बच्चों की लाइफस्टाइल उनकी आय स्रोतों से कहीं ज्यादा थी। जेआईटी ने रिपोर्ट में इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया केस दायर करने की सिफारिश की। हालांकि, शरीफ ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए जेआईटी की रिपोर्ट खारिज कर दी है।
लंदन फ्लैट्स खरीद में हुई थी पैसों की हेराफेरी
शरीफ फैमिली के लंदन के 4 अपार्टमेंट से जुड़ा मामला उन 8 मामलों में शामिल है, जिनकी नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) ने दिसंबर 1999 में जांच शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल को दिए अपने फैसले में जेआईटी से कहा था कि वह लंदन फ्लैट्स की खरीद में की गई पैसों की हेराफेरी की जांच करे। शरीफ परिवार की गल्फ स्टील मिल, कतारी लेटर,
ऑफशोर कंपनियों और अन्य मामलों में कोर्ट ने 12 सवाल भी पूछे थे।
ऐसे आया शरीफ और उनके परिवार का नाम
शरीफ के बेटों हुसैन और हसन के अलावा बेटी मरियम नवाज ने टैक्स हैवन माने जाने वाले ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में कम से कम चार कंपनियां शुरू कीं। इन कंपनियों से इन्होंने लंदन में छह बड़ी संपत्तियां खरीदी। शरीफ परिवार ने इन संपत्तियों को गिरवी रखकर डॉइशी बैंक से करीब 70 करोड़ रुपए का लोन लिया। इसके अलावा दूसरे दो अपार्टमेंट खरीदने में बैंक ऑफ स्कॉटलैंड ने उनकी मदद की। नवाज और उनके परिवार पर आरोप है कि इस पूरे कारोबार और खरीद-फरोख्त में अघोषित आय लगाई गई। शरीफ की विदेश में इन संपत्तियों की बात उस वक्त सामने आई जब लीक हुए पनामा पेपर्स में दिखाया गया कि इन संपत्तियों का प्रबंधन शरीफ के परिवार के मालिकाना हक वाली विदेशी कंपनियां करती थीं।