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डार्क वेब पर बिकने के लिए पेश तमिलनाडु पुलिस का डाटा, साइबर पुलिस ने किया मामला दर्ज

डाटाबेस में हुए हैक का हो रहा आकलन

चेन्नईMay 05, 2024 / 06:06 pm

PURUSHOTTAM REDDY

डाटाबेस में हुए हैक का हो रहा आकलन

चेन्नई. एडमिन एकाउंट को हैक कर साइबर अपराधियों ने तमिलनाडु पुलिस का फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (frs.tnpolice.gov.in) डाटा डार्क वेब पर बिक्री के लिए डाल दिया है। राज्य पुलिस की वेबसाइट से डाटा चोरी की यह अब तक की सबसे बड़ी घटना है। इससे पहले पिछले वर्ष 2023 में इस तरह का ब्रीच सामने आई थी जब साउथ कोरिया के हैकर्स ने सिक्योरिटी तोड़ते हुए गत 12 सितम्बर को बीस हजार डॉलर की रैनसम मांगी थी। उस वक्त ही आशंका व्यक्त की गई थी कि हैकर्स एफआरएस तक पहुंच बना चुके हैं, जिसका परिणाम शुक्रवार रात नजर आया।

अपराधियों की पहचान में काम आता है एफआरएस

एफआरएस वह सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग राज्य पुलिस अपराधियों और लापता व्यक्तियों की पहचान के लिए करती है। इस सॉफ्टवेयर की सुरक्षा तोड़ते हुए इसे हैक किया है। डाटा नमूने डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। लीक हुए नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि पुलिस अधिकारियों के नाम, फोन नंबर और एफआइआर विवरण सहित डाटा की 1.2 मिलियन लाइनें अवैध रूप से एक्सेस की गई हैं। डाटा लीक की जानकारी खुफिया प्लेटफॉर्म फैल्कॉनफीड्स ने उजागर की।

‘वैलेरी’ नाम के समूह ने ली जिम्मेदारी

‘वैलेरी’ नाम के एक समूह ने हैक की जिम्मेदारी ली है। उसने डार्क वेब पर एक फ़ाइल डाली है जिसमें आइपीएस अधिकारियों सहित 55,000 लाइनों का डाटा था। दूसरी फ़ाइल में 8.9 लाख लाइनों का एफआइआर और एक अन्य फ़ाइल में पुलिस स्टेशनों से जुड़ा 2,700 लाइनों का डाटा था। एफआरएस सॉफ्टवेयर सीडीएसी (उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र) कोलकाता ने विकसित किया है और एप्लिकेशन को टीएनएसडीसी (ईएलसीओटी) के सर्वर पर होस्ट किया गया है।

स्कैम में डाटा यूज की आशंका

साइबर एक्सपर्ट के अनुसार ब्रीच डाटा का उपयोग साइबर घोटाले वाले फोन कॉल और अन्य अवैध गतिविधियों में हो सकते हैं। इसकी वजह व्यक्तिगत पहचान विवरण जो एफआइआर में दर्ज है उनका चोरी हो जाना है। ऐसे में संबंधित लोगों के परिजनों को स्कैम कॉल आ सकते हैं। एफआइआर से जुड़े विवरण 2 से 3 डॉलर में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। गौरतलब है कि तमिलनाडु समेत इस तरह के स्कैम कॉल्स देश के अन्य राज्यों में भी आ रहे हैं। यह अभी अस्पष्ट है कि लीक सैम्पल एक बड़े डाटाबेस का हिस्सा हैं या हैकर ने केवल जानकारी के एक विशेष हिस्से तक ही पहुंच बनाई है।

डीजीपी का स्पष्टीकरण
हैक को स्वीकारते हुए पुलिस महानिदेशक शंकर जीवाल ने आधिकारिक बयान में कहा, प्रारंभिक जांच पर, यह पता चला है कि एडमिन खाते में पासवर्ड से छेड़छाड़ की गई है। एडमिन के पास सीमित अधिकार होते हैं जैसे उपयोगकर्ताओं के लिए आईडी बनाना, प्रश्न खोजना और फ्रंट एंड का विवरण देखना आदि। पोर्टल की अंतिम सुरक्षा ऑडिट तमिलनाडु इ-गवर्नेंस एजेंसी ने 13 मार्च को की थी। निवारक उपाय के रूप में, एडमिन खाता निष्क्रिय कर दिया है। साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया है और आवश्यक कार्रवाई के लिए एल्कॉट, गवर्नेंस एजेंसी और सीडैक कोलकाता को सूचना दे दी गई है।

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