‘वैलेरी’ नाम के समूह ने ली जिम्मेदारी
‘वैलेरी’ नाम के एक समूह ने हैक की जिम्मेदारी ली है। उसने डार्क वेब पर एक फ़ाइल डाली है जिसमें आइपीएस अधिकारियों सहित 55,000 लाइनों का डाटा था। दूसरी फ़ाइल में 8.9 लाख लाइनों का एफआइआर और एक अन्य फ़ाइल में पुलिस स्टेशनों से जुड़ा 2,700 लाइनों का डाटा था। एफआरएस सॉफ्टवेयर सीडीएसी (उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र) कोलकाता ने विकसित किया है और एप्लिकेशन को टीएनएसडीसी (ईएलसीओटी) के सर्वर पर होस्ट किया गया है।
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार ब्रीच डाटा का उपयोग साइबर घोटाले वाले फोन कॉल और अन्य अवैध गतिविधियों में हो सकते हैं। इसकी वजह व्यक्तिगत पहचान विवरण जो एफआइआर में दर्ज है उनका चोरी हो जाना है। ऐसे में संबंधित लोगों के परिजनों को स्कैम कॉल आ सकते हैं। एफआइआर से जुड़े विवरण 2 से 3 डॉलर में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। गौरतलब है कि तमिलनाडु समेत इस तरह के स्कैम कॉल्स देश के अन्य राज्यों में भी आ रहे हैं। यह अभी अस्पष्ट है कि लीक सैम्पल एक बड़े डाटाबेस का हिस्सा हैं या हैकर ने केवल जानकारी के एक विशेष हिस्से तक ही पहुंच बनाई है।
डीजीपी का स्पष्टीकरण
हैक को स्वीकारते हुए पुलिस महानिदेशक शंकर जीवाल ने आधिकारिक बयान में कहा, प्रारंभिक जांच पर, यह पता चला है कि एडमिन खाते में पासवर्ड से छेड़छाड़ की गई है। एडमिन के पास सीमित अधिकार होते हैं जैसे उपयोगकर्ताओं के लिए आईडी बनाना, प्रश्न खोजना और फ्रंट एंड का विवरण देखना आदि। पोर्टल की अंतिम सुरक्षा ऑडिट तमिलनाडु इ-गवर्नेंस एजेंसी ने 13 मार्च को की थी। निवारक उपाय के रूप में, एडमिन खाता निष्क्रिय कर दिया है। साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया है और आवश्यक कार्रवाई के लिए एल्कॉट, गवर्नेंस एजेंसी और सीडैक कोलकाता को सूचना दे दी गई है।