वन विभाग के अधिकारी ने कहा, यह प्रथा है कि विशेषकर बंडीपुर और नागरहोले के जंगलों से सटे गांवों से फायर वॉचर्स को बुलाया जाता है। स्थानीय आदिवासी समुदाय के सदस्यों को fire watchers के रूप में नियुक्त किया जाता है। बंडीपुर के लिए लगभग 500 अस्थाई फायर वॉचर्स नियुक्त किए जाते हैं जबकि नागरहोल के लिए लगभग 350 से 400 कर्मियों को नियुक्त किया जाता है। इनकी तैनाती जनवरी के दौरान होती है। इनका कार्यकाल अप्रेल अंत तक होता है। इस समय तक प्री-मानसून बारिश के कारण जंगल की आग का खतरा कम हो जाता है, लेकिन इस साल अब तक बारिश नहीं हुई है। भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान के कारण जंगलों का बड़ा हिस्सा आग की चपेट में है।
बंडीपुर के मद्दूर रेंज में सोमवार शाम को आग लग गई थी और मंगलवार सुबह तक ही आग बुझाई जा सकी।। घटनास्थल का दौरा करने वाले project tiger के वन संरक्षक रमेश कुमार ने कहा कि पिछले साल मानसून की पूरी तरह से विफलता और इस साल pre-monsoon rain के कारण पिछले तीन वर्षों में बंडीपुर में यह पहली बड़ी आग है। अभी जंगल की आग का खतरा कम नहीं हुआ है। भारी बारिश होने तक फायर वॉचर्स की जरूरत पड़ेगी। कुमार ने कहा कि बंडीपुर में मद्दूर रेंज में जंगलों को हुए नुकसान का आकलन अभी किया जाना बाकी है और इसमें कुछ समय लगेगा।