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पत्रिका कीनोट सलोन में बोले आकाश इंस्टीट्यूट के सीईओ – डिजिटल लर्निंग एक अच्छा टूल, सही से इस्तेमाल करने की है जरूरत

आकाश एजुकेशन के आकाश चौधरी पत्रिका कीनोट सलोन में सवालों के जवाब दे रहे थे। शो का मॉडरेशन पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी और नेशनल हेड मार्केटिंग सौरभ भंडारी ने किया। आकाश चौधरी ने कहा कि आने वाले समय में डिजिटल एजुकेशन की स्पीड काफी तेजी से बढ़ेगी।
 

May 26, 2020 / 11:43 am

Prashant Jha

Aakash Chaudhary

पत्रिका कीनोट सलोन में बोले आकाश इंस्टीट्यूट के सीईओ – डिजिटल लर्निंग एक अच्छा टूल, सही से इस्तेमाल करने की है जरूरत

नई दिल्ली। पत्रिका कीनोट सलोन में आकाश इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और सीईओ आकाश चौधरी ने कहा कि कोविड के बाद जीवनशैली में काफी बदलाव देखा जा रहा है। खासकर एजुकेशन सिस्टम पर इसका प्रभाव ज्यादा ही पड़ा है। आज पूरी पढ़ाई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शुरू हो गई है। डिजिटल लर्निंग एक अच्छा टूल है, लेकिन यह आग की तरह है यह अच्छा खाना बना सकती है और घर को जला भी सकती है। इसे कैसे इस्तेमाल करना है वह देखना बेहद जरूरी है।

आकाश एजुकेशन के आकाश चौधरी पत्रिका कीनोट सलोन में सवालों के जवाब दे रहे थे। शो का मॉडरेशन पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी और नेशनल हेड मार्केटिंग सौरभ भंडारी ने किया। आकाश चौधरी ने कहा कि आने वाले समय में डिजिटल एजुकेशन की स्पीड काफी तेजी से बढ़ेगी। हमें ध्यान रखना है कि उसकी स्पीड को किस तरीके से सही दिशा में आगे बढ़ाए। यह टेक्नोलॉजी अच्छी तो है लेकिन उसके कुछ नुकसान भी हैं। खासकर उन बच्चों के लिए जो अंडर एज हैं या जो अभी अडल्ट नहीं है। या फिर उन पैरेंट्स के लिए जो टेक्नोलॉजी से रू-ब-रू नहीं हुए हैं।

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आकाश चौधरी ने कहा कि कोविड के बाद एजुकेशन इंडस्ट्री बदलने वाली है। आने वाले समय में ऑनलाइन यूनिवर्सिटी, ऑनलाइन इंस्टीट्यूट खुलेंगे। यह बहुत चुनौती भरा समय है, हम भी जूम, हैंगआउट जैसे ऐप का इस्तेमाल कर बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। अलग-अलग जगहों पर बैठे बच्चों को मैनेज करना बेहद मुश्किल भरा काम होता है। टीचर की भूमिका अहम हो गई है। टीचर पर ज्यादा दबाव है। उन्होंने बताया कि जो ट्रेनर या टीचर अभी टेक्नोलॉजी के साथ फ्रेंडली नहीं हुए हैं उन्हें जल्द से जल्द इस पर काम शुरू कर देना चाहिए। आने वाला वक्त अब डिजिटल का ही है।

बच्चों और टीचर के बीच बॉडिंग जरूरी

आकाश चौधरी ने यह बात स्वीकार की यह सच है कि क्लासरूम जैसे फिजिकल इंटरेक्शन बच्चों और टीचर में अभी नहीं हो पा रही है। लेकिन एक-एक बच्चों को पढ़ाई के दौरान जो बातें समझ में नहीं आ रही उसे टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर करने में काफी हद तक आगे बढ़ रहे हैं। यह समय है जब हमें दोनों के बीच में एक मजबूत बॉडिंग की जरूरत है।

रूरल इंडिया में डिजिटल लर्निंग का फायदा

रूरल इंडिया में डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए आकाश ने बताया कि देश में ऐसी टेक्नोलॉजी पहले से मौजूद हैं। ग्रामीण इलाके तक वीडियो भेज सकते हैं जिसमें बच्चों को डिवाइस या इंटरनेट की जरूरत नहीं। उसे लोकल वी—सैट स्टेशन पर जाने की जरूरत है। वहां पर एक साथ बड़ी संख्या में बच्चे डिजिटल लर्निंग का फायदा उठा सकते हैं।

पांच साल तैयारी करो, यह जरूरी नहीं

आकाश ने बताया कि यह बड़ा मिथ्या है कि 12वीं में बच्चे मेडिकल या इंजनीयरिंग की तैयारी कर रहे हैं तो बहुत देर हो गई। ऐसा कुछ भी नहीं है। बच्चे पर निर्भर करता है कि वह पढ़ाई को कितनी गंभीरता से ले रहा है। बच्चों के साथ पैरेंट्स की डूयूटी बनती है उनकी समस्या को सुने और परेशानी दूर करने के लिए हर पल तैयार रहे। जरूरत पड़े तो टीचर से लगातार संपर्क में रहे ।

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