अब जमाने की क्या कहूं। मेरा खुद का यह हाल है। यह मैसेज, मैंने कौनसा लिखा है। एक फैन ने मुझे किया था। फेसबुक पर ही मिला है, डीपी में तो बड़ा क्यूट सा है। बहुत ही प्यारे-प्यारे कमेन्ट करता रहता है। अब तुम चिढ़ रहे होंगे। तो फिर क्या करूं, मुझसे यह तो नहीं होता कि तुम दुनिया भर में रसिया गाते रहो और मैं यहां तुम्हारे नाम की धूनी जलाए रखूं। जबसे नेट खराब हुआ है तुम्हारी बहुत ही याद आती है। क्या करूं। टाइम पास ही नहीं होता, इधर होली पास आ रही है और तुम मेरे पास नहीं हो। आओ तो इस बार कलर्स ब्रांडेड ही लाना। यह नहीं कि सोसायटी के स्टोर से घटिया कलर्स ही उठा लाओ। दो साल पहले भी तुमने ऐसे कलर्स यूज किए कि मेरा तो फेस ही बिगड़ गया। परिणाम में मुझे तो कलर से एलर्जी हो गई और तुम्हें मुझसे। यह मेल में सायबर कैफे से कर रही हूं।
लौटती मेल से तुम मुझे इन्फार्म कर ही देना। मोबाइल तो तुम्हारा कोई रिस्पांस नहीं कर रहा। घंटी तो जा रही है। या तो तुम जानकर उठा नहीं रहे हो या किस कलमुंही के कारण साईलेंट कर रखा है। तुम्हारा शाम तक कोई रिस्पांस नहीं मिला। तो फिर ब्रेक-अप ही मान लेना। अगर आना तो तुम्हारी डेयरी की मिठाइयां मत ले आना। उनमें मिलावट पाई गई है। आजकल नारी विमर्श समिति की अध्यक्षा बन गई हूं। उन सदस्याओं ने पढ़ लिया तो जीने नहीं देंगी। सो होली की अग्रिम शुभकामनाओं सहित।
बस भवदीया…राधा।