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जयपुर

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुनाया ‘सियासत’ से जुड़ा रोचक किस्सा, जानिए क्या कुछ बोले?

The Kulish School Inauguration : उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मैं जब 1989 में पहली बार सांसद बना था, तब देश की अर्थव्यवस्था लंदन और पेरिस से कम थी। लेकिन, भारत आज विश्व में हमारी 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है।

जयपुरApr 30, 2024 / 06:48 pm

Anil Prajapat

The Kulish School Inauguration : जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में ‘द कुलिश स्कूल’ का उद्घाटन किया। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजनीति से जुड़ा ऐसा रोचक किस्सा सुनाया, जो शायद ही किसी को पता हो। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि मुझे ये सौभाग्य मिलेगा। जीवन में कई बार मैंने कर्पूर चन्द्र कुलिश जी के साथ चाय पी, लेकिन मेरे लिए मार्मिक क्षण तब आया था, जब मैं जीवन का एक कठिन चुनाव मेरे गृह जिले से 200 किमी दूर किशनगढ़ में लड़ रहा था।
उन्होंने कहा कि उस दौरान कांटे की टक्कर थी और अपनों का ही विरोध था। घनश्याम तिवाड़ी जानते हैं कि किनका विरोध था, जो राजनीति के महारथी थे। तभी मुझे पता लगा कि मदनगंज के एक मंदिर में कर्पूर चंद्र कुलिश जी आए हुए हैं। मेरे साथी कह रहे थे कि मेरे पास समय नहीं है। लेकिन, मैंने कहा कि समय की नब्ज को मैं पहचानता हूं। इसके बाद मैं दो लोगों के साथ मंदिर के बाहर जाकर खड़ा हो गया। जहां कुलिश जी ने मुझसे नजर मिलाई और पूछा कि चुनाव कैसा चल रहा है। मैंने कहा था कि चुनाव बहुत कठिन है। मुझे नहीं पता ऊंट किस करवट बैठेगा। तब उन्होंने मेरे ऊपर हाथ रख दिया। कम मार्जिन था, लेकिन उस हाथ का साथ मेरे लिए निर्णायक साबित हुआ।

हमने यूके को पीछे छोड़ा, अब जापान और जर्मनी की बारी

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मैं जब 1989 में पहली बार सांसद बना था, तब देश की अर्थव्यवस्था लंदन और पेरिस से कम थी। लेकिन, भारत आज विश्व में 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस मामले में हमने यूके को पछाड़ दिया है। आने वाले 2 साल में हम और आगे जाएंगे। जापान और जर्मनी को हम पीछे छोड़ देंगे।

भैरोसिंह शेखावत और कुलिश जी की दोस्ती का किया जिक्र

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के नाम का जिक्र करते हुए कहा कि कुलिश जी के संबंध उनसे रहे हैं, जो मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे और मेरी राजनीति के शिल्पी बने। आज मैं उस पद पर हूं, जिस पर वो पहले थे। लेकिन, कुलिश जी और भैरोसिंह शेखावत की मित्रता घनिष्ठ थी। लेकिन, कभी भी ऐसा मौका नहीं आया जब इनकी दोस्ती का असर किसी खबर या पत्रिका पर पड़ा हो। ये राजस्थान की जनता जानती है।

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