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नागौर

नियमों की अनदेखी: शव हो रहे जेएलएन में रेफर पर पोस्टमार्टम के लिए नहीं आते डॉक्टर

जिम्मेदार पब्लिक को परेशान करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। जिस अस्पताल अथवा थाना इलाके में व्यक्ति की मौत हुई वहीं का चिकित्सक पोस्टमार्टम करे यदि बॉडी जेएलएन में हो तो

नागौरApr 27, 2024 / 09:03 pm

Sandeep Pandey

after accident el death postmartem problem

जेएलएन अस्पताल पर पड़ रहा अतिरिक्त भार, करीब साढ़े तीन महीने में 46 में से 22 शव के पोस्टमार्टम यहीं के चिकित्सकों ने
किया, आसपास के डॉक्टर करते हैं आनाकानी

नागौर. घायलों को तो रेफर करते सबने सुना होगा पर यहां डेड बॉडी (मृत शरीर) रेफर की जा रही है । उस पर संबधित चिकित्सक पोस्टमार्टम करने जिला अस्पताल पहुंच जाएं तो खुशनसीबी, वरना तो बार-बार फोन करने के बाद भी पांच-सात घंटे देर हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं। परेशानियां/खामियां तो खैर बनी हुई हैं ही पर जिम्मेदार पब्लिक को परेशान करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। रविवार की रात जेएलएन अस्पताल लाए गए शव का पोस्टमार्टम सोमवार को दोपहर एक बजे हो पाया। वो इसलिए कि रोल से आने वाले चिकित्सक ही इस समय आ पाए। आए दिन यही हो रहा है, जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों को आसपास के अस्पताल/थाना इलाके से आई डेड बॉडी का पोस्टमार्टम करना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार रविवार की रात सोनेली में बाइक सवार वीरेंद्र (28) सड़क हादसे की चपेट में आ गया। उसे डेह स्थित अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मोर्चरी नहीं होने का हवाला देते हुए मृत शरीर को जेएलएन अस्पताल भिजवा दिया गया। यहां मोर्चरी में बॉडी रख दी गई, ताकि सुबह संबंधित अस्पताल से चिकित्सक आकर इसका पोस्टमार्टम कर दे। सोमवार की सुबह परेशान परिजन चिकित्सक का इंतजार करते रहे। वो नहीं आए तो मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ शिवलाल मेहरा के पास पहुंचे और पोस्टमार्टम के लिए कहा, उन्होंने संबंधित चिकित्सक को बुलाने के लिए फिर फोन किया। पीएमओ डॉ महेश पंवार के पास भी परिजन पहुंचे। नियम तो यह है कि जिस अस्पताल अथवा थाना इलाके में व्यक्ति की मौत हुई वहीं का चिकित्सक पोस्टमार्टम करे यदि बॉडी जेएलएन में हो तो। खैर जैसे-तैसे करीब एक बजे चिकित्सक के पहुंचने पर पोस्टमार्टम हो पाया।
सूत्रों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है। आए दिन यही हो रहा है। मूण्डवा, श्रीबालाजी, भावण्डा, पांचौड़ी, रोल, खाटूबड़ी, साण्डवा समेत अन्य इलाकों से अधिकांश शव यहां रेफर होकर आते हैं। आलम यह है कि इनमें से अधिकतर का पोस्टमार्टम भी यहां के ही चिकित्सक कर देते हैं। कभी राजनीतिक दबाव तो कभी पुलिस अफसर अथवा अन्य किसी का प्रेशर रहता है।
जेएलएन अस्पताल पहले ही चिकित्सकों की तंगी से जूझ रहा है। ऐसे में बाहरी अस्पताल से आए गए शवों के पोस्टमार्टम करने का दबाव भी यहां के चिकित्सकों को झेलना पड़ रहा है।
पुलिस तक परेशान
बलात्कार हो या अन्य कोई मेडिकल, चिकित्सकों से पुलिस तक को परेशान होना पड़ता है। पिछले दिनों एक सामूहिक बलात्कार के मामले में जेएलएन अस्पताल की वरिष्ठ चिकित्सक भी काफी टालमटौल के बाद वहां पहुंची। कई मामलों में बलात्कार पीडि़ता के मेडिकल में कुछ चिकित्सकों की लापरवाही से चार-छह घंटे तक लगते हैं। ऐसे कई मामलों में चिकित्सकों की लापरवाही/देरी भी लोगों को परेशान करती है।
इनका कहना
ऐसे मामलों में सूचना मिलने के बाद जल्द से जल्द संबंधित चिकित्सक को अस्पताल पहुंचकर पोस्टमार्टम करना चाहिए। इस तरह की लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई की जाएगी। मोर्चरी संबंधी अन्य कमियां भी जल्द से जल्द दूर करेंगे।
डॉ राकेश कुमावत, सीएमएचओ नागौर
रोल थाना इलाके का मामला था, हादसे में युवक की मौत हो गई थी। शव यहां रखवाया, संबंधित चिकित्सक ने आकर पोस्टमार्टम किया। कई बार इसे लेकर गंभीरता नहीं बरतने पर परेशानी होती है। सीएमएचओ को पहले ही इस बाबत सूचित कर दिया गया।
डॉ महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल नागौर
इस संबंध में पहले से ही आदेश है कि संबंधित अस्पताल के चिकित्सक आकर पोस्टमार्टम करें। कई अस्पताल में मोर्चरी नहीं है तो उसके चलते शव यहां भेजे जाते हैं। जनवरी से अब तक बाहर से आए 22 शव का पोस्टमार्टम तक हमारी टीम ने किया। बाहर से चिकित्सक आए ही नहीं।
डॉ शिवलाल मेहरा, मेडिकल ज्यूरिस्ट जेएलएन नागौर
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