scriptदंतेवाड़ा प्रशासन के पास है लोक्टीमाछी के ऐतिहासिक सबूत, जानिए क्यों है इतना खास | Dantewada administration has historic evidence of Loktimchi | Patrika News
दंतेवाड़ा

दंतेवाड़ा प्रशासन के पास है लोक्टीमाछी के ऐतिहासिक सबूत, जानिए क्यों है इतना खास

जैविक खेती कर रहे किसान समूह को भूमगादी नाम दिया है। समूह में जिले के जैविक खेती से जुड़े किसान हैं। इन किसानों के उत्पादों को आदिम ब्रांड कहा जाता है

दंतेवाड़ाApr 04, 2018 / 12:44 pm

Badal Dewangan

Problem: Problems happening in KrishiVision

Problem: Problems happening in KrishiVision

पुष्पेन्द्र सिंह/दंतेवाड़ा. कड़कनाथ के बाद अब चावल की किस्म लोक्टीमाछी पर जीआई नंबर के लिए प्रशासन तैयारी कर रहा है। इस बार कोई चूक न हो, इसके लिए हिस्टोरिकल एविडेंस जुटाए जा रहे हैं। केवीके गीदम से लेकर रायपुर इंदिरागांधी कृषि विश्व विद्यालय में रिसर्च और स्टडी जारी है। लोक्टीमाछी (चावल) को दक्षिण बस्तर की मूल किस्म बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि लोक्टीमाछी का उत्पादन बस्तर की मिट्टी व यहां के पर्यावरण में ही गुणवत्तापूर्ण हो सकता है।
इसका मूल क्षेत्र दंतेवाड़ा जिले का कटेकल्याण है। यहां किसान सैकड़ों सालों से लोक्टीमाछी धान की पैदावार ले रहे हैं। लोक्टीमाछी के साथ डॉ. रिचा आर्या ने बस्तर की 22 हजार प्रजातियों पर रिसर्च किया है। इसमें एक वेरायटी कालीमूंछ है। इस धान का उत्पादन भी कटेकल्याण के कुछ गांव में ही होता है। लोक्टीमाछी की बड़े स्तर पर किसान खेती करते हैं।
जीआई नंबर के लिए एक माह में केस फाइल कर दिया जाएगा
इस चावल में न्यूट्रीशिंयस अधिक होने से लोगों की खाने में रूचि अधिक है। पतला होने के साथ-साथ सुगंधित भी है। लोक्टीमाछी पर सभी दस्तावेज लगभग पूरे हो चुके हैं। इसके जीआई नंबर के लिए एक माह में केस फाइल कर दिया जाएगा। यह केस दंतेवाड़ा की भूमगादी कंपनी से फाइल करवाया जाएगा। जिला प्रशासन रिसर्च, सर्वे, स्टडी व हिस्टोरिकल एविडेंस व एनालाइसिस कृषि विज्ञान केंद्र के जरिए पूरे करवा चुके हैं।
क्या है भूमगादी
जैविक खेती कर रहे किसानों के समूह को भूमगादी कंपनी का नाम दिया गया है। इस समूह में जिले के जैविक खेती से जुड़े किसान सदस्य हैं। इन किसानों के उत्पादों को आदिम ब्रांड कहा जाता है। जिला प्रशासन व इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के वैज्ञानिक लोक्टीमाछी पर जीआई नंबर के लिए इसी कंपनी के जरिए केस फाइल करवा रहे हैं। वैज्ञानिकों का मत है कि लोक्टीमाछी दक्षिण बस्तर की ही उत्पत्ति है। इसलिए इस वेरायटी पर जीआई टैग मिलना चाहिए।
लोक्टीमाछी में ये हैं तत्व
10 पीपीएम आयरन
18 पीपीएम जिंक
31 पीपीएम मैग्निज
1013 पीपीएम मैग्निशियम
2000 पीपीएम पोटिशियम
108 पीपीएम कैल्शियम

बस्तर की मिट्टी व पर्यावरण इसके लिए महत्वपूर्ण है
इंदिरागांधी विश्वविद्यालय रायपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि, लोक्टीमाछी चावल की किस्म मूलत: दक्षिण बस्तर से है। यहां की मिट्टी में इसका उत्पादन अधिक और गुणवत्तापूर्ण होता है। बस्तर की मिट्टी व पर्यावरण इसके लिए महत्वपूर्ण है। इसकी उत्पत्ति कटेकल्याण एरिया में ही हुई है। इसके हिस्टोरिकल एविडेंस जुटा लिए गए हैं। भूमगादी संस्था के माध्यम से जीआई टैग के लिए एक माह के भीतर केस फाइल कर दिया जाएगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो