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उपलब्धि-नक्सल प्रभावित डाबरी गांव के स्कूलों का परीक्षा परिणाम रहा शत-प्रतिशत

जिले के अति नक्सल प्रभावित ग्राम डाबरी के बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। इस वर्ष कक्षा 5 वीं, 8 वीं, 10 वीं और 12 वीं कक्षा में कोई भी विद्यार्थी अनुत्तीर्ण नहीं हुआ। इतना ही नहीं कोई भी विद्यार्थी तृतीय श्रेणी में पास भी नहीं हुआ। बालाघाट. जिले के अति नक्सल प्रभावित ग्राम […]

बालाघाटMay 04, 2024 / 10:47 pm

Bhaneshwar sakure

परीक्षा परिणाम

नक्सल प्रभावित डाबरी गांव के स्कूलों का परीक्षा परिणाम रहा शत-प्रतिशत

जिले के अति नक्सल प्रभावित ग्राम डाबरी के बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। इस वर्ष कक्षा 5 वीं, 8 वीं, 10 वीं और 12 वीं कक्षा में कोई भी विद्यार्थी अनुत्तीर्ण नहीं हुआ। इतना ही नहीं कोई भी विद्यार्थी तृतीय श्रेणी में पास भी नहीं हुआ।
बालाघाट. जिले के अति नक्सल प्रभावित ग्राम डाबरी के बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। इस वर्ष कक्षा 5 वीं, 8 वीं, 10 वीं और 12 वीं कक्षा में कोई भी विद्यार्थी अनुत्तीर्ण नहीं हुआ। इतना ही नहीं कोई भी विद्यार्थी तृतीय श्रेणी में पास भी नहीं हुआ। शिक्षकों की मेहनत और विद्यार्थियों की लगन से विद्यालय को यह उपलब्धि हासिल हुई है। हालांकि, परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए शिक्षकों ने इसे मिशन के रुप में लिया था।

परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए मिशन के रुप में शिक्षकों ने किया कार्य

जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत बैहर के ग्राम पंचायत डाबरी गांव में हायर सेकेंडरी और माध्यमिक विद्यालय दोनों के अलग-अलग परिषर जरुर है। लेकिन इन विद्यालयों का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। 5 वीं, 8 वीं, 10 वीं और 12 वीं कक्षा में कोई भी विद्यार्थी फेल नहीं हुआ और न ही तृतीय श्रेणी में पास हुआ। हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य ओपी डोहरे का कहना है कि वे स्वयं पिछले वर्ष के परिणामों से खुश नहीं थे। कलेक्टर के बार-बार समीक्षा के बाद स्कूल के स्टॉप ने परीक्षा परिणाम में सुधार करने का निर्णय लिया। जिसे एक मिशन के रुप में लिया और उसमें कार्य भी किया।

गांव में ही रुकते थे शिक्षक

प्राचार्य डोहरे ने बताया कि अति नक्सल प्रभावित होने से यहां का माहौल थोड़ा अलग है। लेकिन इसका शिक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पडऩे दिया। स्कूल में कुल 10 शिक्षकों का स्टॉप है। जिसमें 4 नियमित और 6 अतिथि शिक्षक है। सभी गांव में ही किराए के मकान में रहते है। कोई भी अपने घर से आवागमन नहीं करता था। पिछले परिणाम अच्छे नहीं थे। खासकर अंग्रेजी विषय में स्थिति निराशाजनक थी। इस समस्या को दूर करने के लिए स्कूल के अलावा रात में इंग्लिश के शिक्षक केके चौरागढ़े ने नियमित रुप से पढ़ाने में सक्रियता दिखाई। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को मिलने वाली रेमेडियल शिक्षण सामग्री पर्याप्त संख्या में नहीं मिली थी। जिसके चलते स्कूल के फंड से शिक्षण सामग्री की फोटोकापी करवाई गई। इसी तरह स्कूल में अधिकांश विद्यार्थी मजदूर वर्ग के ही है। उनके लिए आवश्यक कॉपियां भी स्कूल के फंड से खरीदी गई।

ऐसा रहा परीक्षा परिणाम

मावि डाबरी में कक्षा 5 वीं में 15 और कक्षा 8 वीं में 41 विद्यार्थी थे। सभी विद्यार्थी उत्तीर्ण हो गए। इसी तरह कक्षा 10 वीं में 23 विद्यार्थी थे, जिसमें से 10 प्रथम श्रेणी और 13 द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। कक्षा 10 वीं में स्कूल के भारतलाल टेकाम, अविनाश मेश्राम और कृपाल उइके टॉपर रहे। कक्षा 12 वीं में 14 विद्यार्थी थे। जिनमें 11 प्रथम श्रेणी में और 3 द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। सुशीला ठाकरे, अंकिता पुषाम और इमना उइके विद्यालय में टॉपर रहे।

चुनाव के दौरान फोर्स के लिए खाली किया छात्रावास

स्कूल के प्राचार्य डोहरे ने बताया कि विधानसभा निर्वाचन के दौरान फोर्स के लिए छात्रवास खाली करना पड़ा। परीक्षा के पिक टाइम में छात्रवास को स्कूल के अतिरिक्त कक्षों में शिफ्ट कर दिया। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित नहीं हुई। इसी तरह दिवाली और दशहरे की छुट्टियों में छात्रावास के विद्यार्थियों को घर नहीं जाने दिया गया। दरअसल, अवकाश 3 दिनों का होता है लेकिन वो एक सप्ताह में वापस आ पाते है। इस कारण विद्यार्थी छात्रावास में ही रहे।

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