मंगलवार को इंफाल कोर्ट परिसर के बाहर इस बात की जानकारी देते हुए चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। वह अब भूख हड़ताल खत्म कर चुनाव के मैदान पर उतरेंगी। उनके साथी आंदोलनकारियों ने कहा कि इरोम का यह फैसला मणिपुर से अफस्पा हटाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है। उनके सहयोगियों के अनुसार, इरोम शर्मिला शादी करना तथा चुनाव लड़ना चाहती हैं।
कौन है इरोम शर्मिला? 2 नवम्बर 2000 को सुरक्षा बलों ने मालोम के बस स्टैण्ड पर अंधाधुंध गोलियां चला कर 10 मासूमों को मार डाला था। मृतकों में 62 वर्षीय एक वृद्धा भी थी और 18 साल का एक राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त युवक भी। इसके विरोध में इरोम ने AFSFA को हटवाने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी।
जानिए क्या है AFSPA सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को साल 1958 में संसद ने पारित किया था। यह अधिनियम हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार और न्यायिक छूट देता है। इसके तहत सेना को किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार है। यदि वह शख्स गिरफ्तारी का विरोध करता है तो उसे जबरन गिरफ्तार करने का अधिकार है। साथ ही सेना के जवानों को किसी भी व्यक्ति की तलाशी संदेह के आधार पर लेने का अधिकार है। इतना ही नहीं सेना को कानून तोडऩे वाले शख्स पर फायरिंग करने का भी अधिकार है। इस दौरान किसी की मौत हो जाती है तो उसकी जवाबदेही फायरिंग करने या आदेश देने वाले अधिकारी की नहीं है। फिलहाल यह असम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और जम्मू कश्मीर में लागू है।